पठानकोट-जम्मू हाईवें ही क्यों बनता हैं आतंकी हमलों का पहला निशाना

punjabkesari.in Monday, Jul 27, 2015 - 04:53 PM (IST)

जम्मू:  गुरदासपुर जिले के  दीनानगर में आतंकवादी हमले ने एक बार फिर इस बात को साबित कर दिया है कि पिछले तेरह वर्षों से पठानकोट-जम्मू हाईवे आतंकियों के निशाने पर रहा है। इस वर्ष यह तीसरा बड़ा हमला है जो जम्मू-पठानकोर्ट हाईवे पर हुआ है। इसके यह कारण हो सकते हैं-
सीमा से निकटता
सबसे बड़ा कारण है नेशनल हाईवे 44  की पाकिसतान से निकटता। जम्मू-पठानकोट हाईवे से पाकिस्तान की सीमा निकट है। कई जगहों पर तो यह महज पांच किलोमीटर है। यही कारण है कि आतंकवादी आसानी से सीमा पार से आते ळैं और कई बार वापिस भी भाग जाते हैं।
लक्ष्य
जम्मू-पठानकोट हाईवे पर कई सैन्य छावनियां और स्टेशन हैं। सड़क के किनारे हिन्दू आबादी ज्यादा बसती है। और ज्यादातर देखा गया है कि हमलेहाईवे के निकट बनी सिर्फ छावनियों पर हुए हैं। हाईवे जम्मू कश्मीर और भारत के बीच की एकमात्र लाइफलाइन है। इसी रूट सेहर वर्ष हजारों यात्री सफर करते हैं। जिसमें अमरनाथ यात्री भी पन्रमुख हैं। अभी तक सबसे भयानक हमला 14 मई 2002 में हुआ था जिसमें कालूचक में छावनी क्षेत्र में आतंकवादियों ने 21 सैनकों सहित 31 लोगों को मार दिया था।
झरझरी सीमा
गुरदासपुर-जम्मू सेक्टर में ज्यादातर सीमाओंपर नाले हैं। कई जगहों पर तो ऐसी स्थिति है कि आसानी से इस पार या उस पार आया जाया जा सकता है। ऐसे में आतंकवादियों को आसान और याार्ट रास्ता मिल जाता है। वे आसानी से घुसपैंठ करते हैं और हाईवे पर पहुंचकर लोगों की गाडिय़ों को छीनकर वारदातों को अंजाम देते हैं।
लांच पैंड
जम्मू कश्मीर की एलओसी सेना द्वारा सुरक्षित है। वहां बारूदी सुरंगे भी बिछी हुई हैं। इसलिए आतंकी आईबी का रास्ता चुनतेहैं। आईबी पर अतनी पहरेदारी और बारूदी सुरंगे नहीं हैं। पाकिस्तानी घुसपैंठ करने के लिए इन्हीं जगहों को अपना लांच पैड बनातेहैं।
 


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