बाइडेन का दावा- गले का फंदा बनी चीन की BRI योजना, मुकाबले के लिए G7 संग काम कर रहा अमेरिका

punjabkesari.in Thursday, Oct 26, 2023 - 11:28 AM (IST)

वाशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि उनका देश यूरोप के साथ सऊदी अरब को जोड़ने वाली रेलसड़क परियोजना सहित बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के नेटवर्क के जरिए चीन की ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' (BRI) से मुकाबले के लिए जी7 सदस्य देशों के साथ काम कर रहा है। बाइडेन ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि हमास द्वारा इजराइल पर आतंकवादी हमला करने का एक कारण हाल में नई दिल्ली में  G20 शिखर सम्मेलन के दौरान महत्वाकांक्षी भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे पर की गई हालिया घोषणा थी, जो पूरे क्षेत्र को रेलमार्ग के नेटवर्क से जोड़ने वाला है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस बात से आश्वस्त हूं कि हमास के हमले के कारणों में से एक यह भी था। मेरे पास इसका कोई सबूत नहीं है, लेकिन मेरी अंतरात्मा मुझसे यही कहती है कि इजराइल के लिए क्षेत्रीय एकीकरण और समग्र रूप से क्षेत्रीय एकीकरण की दिशा में हमारे काम के कारण हमास ने यह हमला किया। हम उस काम को नहीं छोड़ सकते।''

 

एक हफ्ते से भी कम समय में यह दूसरी बार है जब बाइडन ने हमास द्वारा आतंकवादी हमले के संभावित कारण के रूप में भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEEC ) का उल्लेख किया है। सितंबर में G20 शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बाइडेन के नेतृत्व में दुनिया के अहम नेताओं ने महत्वाकांक्षी भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे की शुरुआत की घोषणा की थी। बाइडेन ने अमेरिका की यात्रा पर पहुंचे ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज के साथ ‘रोज गार्डन' में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हम उससे (BRI) मुकाबला करने जा रहे हैं और हम इसे एक अलग तरीके से कर रहे हैं। BRI योजना कर्ज में डूब गई है और जिन्होंने इस पर हस्ताक्षर किए हैं यह उन अधिकांश लोगों (राष्ट्रों) के लिए गले का फंदा बन गई है।'' उन्होंने कहा कि वे उन देशों के लिए बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने के लिए जी7 भागीदारों के साथ काम कर रहे हैं। ग्रुप ऑफ सेवन (G7) में ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका शामिल हैं।

 

बाइडेन ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि उदाहरण के लिए G20 में हम रियाद से पश्चिम एशिया, सऊदी अरब, इजराइल, यूनान तक एक रेलमार्ग बनाने के प्रस्ताव पर कार्य करने में सक्षम हों। हम न सिर्फ रेलमार्ग बल्कि यूरोप तक भूमध्य सागर के पार पाइपलाइन बिछाने में भी सक्षम हों।'' अमेरिका के राष्ट्रपति ने कहा कि चीन के साथ ‘अत्यधिक प्रतिस्पर्धा' की उनकी पिछली टिप्पणी संघर्ष के मायने में नहीं थी। एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘मैंने इस बारे में बात की कि हम अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार आर्थिक, राजनीतिक और अन्य तरीकों से हर तरह से चीन के साथ प्रतिस्पर्धा कैसे करेंगे, लेकिन मैं संघर्ष की बात नहीं कर रहा हूं।'' अल्बानीज अगले महीने चीन जाने वाले हैं।

 

बाइडेन से पूछा गया कि ‘ऑस्ट्रेलिया के साथ चीन की पुनः भागीदारी से आप क्या समझते हैं?' और ‘क्या ऑस्ट्रेलिया बीजिंग पर भरोसा कर सकता है और क्या ऑस्ट्रेलिया चीन के साथ व्यापार कर सकता है?' इस पर उन्होंने कहा, ‘‘एक मुहावरा है, ‘विश्वास करें लेकिन सत्यापित भी करें'। देखिए, चीन इस समय अपनी आंतरिक और बाहरी कठिनाइयों से जूझ रहा है। चीन की आर्थिक वृद्धि पहले की तुलना में स्थिर है। चीन उसी तरह की गतिविधियों में शामिल है जैसा कि रूस और कई अन्य कर रहे है यानी वे दूसरे देशों को डराने-धमकाने और उनसे निपटने में शामिल हैं।'' उन्होंने कहा कि पिछले हफ्ते उन्होंने अमेरिका की जरूरतों को पूरा करने के लिए पनडुब्बी उत्पादन और रखरखाव को बढ़ावा देने और ऑकस का समर्थन करने के वास्ते पूरक निधि में 3.4 अरब अमेरिकी डॉलर जारी करने का अनुरोध किया था।

 

ऑकस संधि ब्रिटेन, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक त्रिपक्षीय गठबंधन है। ऑकस को रणनीतिक हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आक्रामक चीन के जवाब के रूप में देखा जाता है, जिसमें विवादित दक्षिण चीन सागर के अधिकांश हिस्सों पर उसका दावा शामिल है। बाइडेन ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया अमेरिका में महत्वपूर्ण निवेश कर रहा है और इस सौदे के तहत पनडुब्बियों का उत्पादन करने की उसकी क्षमता है। उन्होंने कहा, ‘‘जब हमने समझौता किया तो चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने मुझसे कहा कि हम सिर्फ चीन को घेरने की कोशिश कर रहे हैं। मैंने कहा, नहीं, हम चीन को नहीं घेर रहे हैं। हम सिर्फ यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि समुद्री रास्ते खुले रहें। वह अंतरराष्ट्रीय हवाई क्षेत्र और जल क्षेत्र आदि के संदर्भ में सड़क के नियमों को एकतरफा रूप से बदलने में सक्षम नहीं है। यह सिर्फ इसी बारे में है।'' बाइडेन ने कहा कि क्वाड भी बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने कहा कि यह ताइवान जलडमरूमध्य, हिंद महासागर, उस पूरे क्षेत्र में स्थिरता, स्थिरता बनाए रखने के बारे में है। क्वाड के तहत जापान, भारत, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक व्यवहार का मुकाबला करने के लिए एक गठबंधन बनाया।  


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Content Writer

Tanuja

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