गल्फ में अब सऊदी अरब BOSS ! प्रिंस सलमान की धमकी पर झुका UAE, बिना शर्त यमन से सेना वापस बुलाई
punjabkesari.in Wednesday, Dec 31, 2025 - 04:19 PM (IST)
International Desk: यमन की आग अब सीधे गल्फ की सत्ता-संतुलन राजनीति तक पहुंच चुकी है। कभी यूएई के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद को अपना मेंटर मानने वाले सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MbS) अब स्पष्ट संकेत दे रहे हैं कि गल्फ में नेतृत्व का केंद्र रियाद ही होगा। यमन में हालिया घटनाक्रम इस बदले हुए समीकरण की सबसे बड़ी मिसाल बन गया है।
UAE says it will withdraw its remaining forces from Yemen after Saudi Arabia demanded they leave within 24 hours, escalating a major rift between the two Gulf allies and oil producers. — Reuters#Yemen #Saudi #UAE pic.twitter.com/tWpj0V4Bzw
— Shaan (@ShaanUnfiltered) December 31, 2025
सिविल वॉर से जूझ रहे यमन में हालात उस वक्त विस्फोटक हो गए, जब सऊदी अरब ने मुकल्ला पोर्ट पर यूएई से जुड़े सैन्य जहाजों पर एयर स्ट्राइक कर दी। आरोप था कि ये जहाज साउदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल (STC) को हथियार और बख्तरबंद वाहन मुहैया करा रहे थे। रियाद ने इसे अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा की “रेड लाइन” बताते हुए यूएई को 48 घंटे के भीतर यमन से सेना हटाने का अल्टीमेटम दे दिया।
UAE झुका
सऊदी दबाव के आगे UAE ने बिना शर्त अपनी सेना वापस बुलाने की घोषणा कर दी। इसके साथ ही क्राउन प्रिंस सलमान ने यह जता दिया कि गल्फ में अंतिम फैसला सऊदी अरब का होगा। यह घटना केवल यमन तक सीमित नहीं रही, बल्कि गल्फ सहयोग परिषद (GCC) के भीतर बढ़ते तनाव को भी उजागर कर गई।अल-जजीरा के मुताबिक, सऊदी गठबंधन के प्रवक्ता मेजर जनरल तुर्की अल-मलिकी ने दावा किया कि मुकल्ला बंदरगाह पहुंचे जहाजों में 80 से ज्यादा सैन्य वाहन, हथियार और गोला-बारूद के कंटेनर थे, जिन्हें बिना सऊदी जानकारी के अल-रयान एयर बेस भेजा गया। सऊदी का आरोप है कि यूएई ने हदरमौत और महरा जैसे रणनीतिक प्रांतों में STC को सैन्य कार्रवाई के लिए उकसाया, जो सऊदी और ओमान की सीमाओं से सटे हैं।
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बड़ा सवाल: गल्फ का ‘बिग ब्रदर’ कौन?
विश्लेषकों का मानना है कि यह टकराव मोहम्मद बिन सलमान की बढ़ती महत्वाकांक्षा को दर्शाता है। जहां पहले सऊदी-यूएई की साझेदारी मजबूत मानी जाती थी, वहीं अब नेतृत्व और वर्चस्व की होड़ खुलकर सामने आ गई है। UAE का झुकाव दक्षिण यमन समर्थक गुटों की ओर रहा है, जबकि सऊदी अरब एकीकृत यमन चाहता है। यही रणनीतिक मतभेद अब खुले सैन्य और कूटनीतिक संघर्ष में बदलते दिख रहे हैं। यूएई की वापसी से यमन में सऊदी स्थिति मजबूत जरूर होगी, लेकिन GCC की एकता, क्षेत्रीय स्थिरता और यमन संकट और जटिल हो सकते हैं। यह टकराव साफ संकेत देता है कि गल्फ राजनीति अब नए दौर में प्रवेश कर चुकी है, जहां सऊदी अरब खुद को निर्विवाद नेता के रूप में स्थापित करना चाहता है।
