ट्रंप का भारत को बड़ा झटका, ईरान से तेल खरीदने की समय सीमा को किया खत्म

Tuesday, Apr 23, 2019 - 05:29 AM (IST)

नई दिल्लीः ईरान से कच्चे तेल की आपूर्ति के मामले में खरीदार देशों को आगे प्रतिबंधों में छूट नहीं देने के अमेरिका के फैसले के बाद भारत ने आपूर्ति में संभावित कमी के मद्देनजर वैकल्पिक स्रोतों की तैयारी कर ली है। 

अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने सोमवार को ईरान से कच्चा तेल खरीदने के मामले में भारत जैसे देशों को प्रतिबंधों से दी गई छूट को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया है। एक शीर्ष सूत्र ने कहा, ‘‘हमारे कच्चे तेल की आपूर्ति के स्रोत काफी फैले हुये हैं। किसी भी संभावित कमी को पूरा करने के लिये हमारे पास वैकल्पिक स्रोत हैं।''

अमेरिका की राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले साल ईरान और दुनिया की बड़ी ताकतों के बीच 2015 में हुये परमाणु समझौते से अमेरिका को अलग कर लिया था। उसके बाद इस फारस की खाड़ी स्थित देश पर नये सिरे से प्रतिबंध लागू कर दिए। हालांकि, तब चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान, तुर्की, इटली और यूनान सहित आठ देशों को छह माह के लिए ईरान से तेल आयात की अनुमति दी गई थी।

हालांकि, इसके साथ ही ईरान से तेल आयात में कटौती की भी शर्त लगाई गई थी। प्रतिबंध से छूट की यह अवधि दो मई को समाप्त हो रही है। ईरान से तेल आयात करने वालों में चीन के बाद भारत दूसरा बड़ा आयातक देश है। भारत ने ईरान से 2017- 18 वित्त वर्ष में जहां 2.26 करोड़ टन कच्चे तेल की खरीदारी की थी वहीं प्रतिबंध लागू होने के बाद इसे घटाकर 1.50 करोड़ टन सालाना कर दिया गया। 

ईरान के सबसे बड़े निर्यात को लगेगा झटका
सूत्र ने बताया, ‘‘विभिन्न आवधिक अनुबंधों के अलावा हमारे पास कई आपूर्तिकताओं से वैकल्पिक आयात की व्यवस्था भी है। ईरान से आयात में कटौती होने की सूरत में हम इनका इस्तेमाल कर सकते हैं। जहां तक इंडियन आयल की बात है, आपूर्ति कोई समस्या नहीं है। हमने पहले ही वैकल्पिक स्रोत तैयार कर लिए हैं।'' वाशिंगटन से प्राप्त एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक सोमवार को व्हाइट हाउस ने घोषणा की है कि वह ईरान के तेल ग्राहकों को प्रतिबंध से और छूट नहीं देगा। इससे ईरान के सबसे बड़े निर्यात को झटका लगेगा। ट्रंप प्रशासन के बयान में कहा गया है, ‘‘राष्ट्रपति डोनाल्ड जे ट्रंप ने मई में समाप्त होने के बाद उल्लेखनीय कटौती से छूट को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया है।'' ट्रंप पशासन के इस फैसले के पीछे की मंशा ईरान के तेल निर्यात को शून्य पर लाने की है।

Yaspal

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