आतंक से निपटने के लिए आसियान के साथ सहयोग बढ़ाने का PM का आह्वान

punjabkesari.in Saturday, Nov 21, 2015 - 11:36 PM (IST)

कुआलालंपुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आसियान देशों के नेताओं और चीन तथा जापान के अपने समकक्षों से बातचीत के दौरान आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ाई लडऩे का आह्वान किया। इसके साथ ही उन्होंने दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय तथा समुद्री विवादों को जल्द हल करने पर भी जोर दिया।

पेरिस में पिछले हफ्ते हुए आतंकी हमले का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने आतंकवाद की इस बुराई से निपटने की जरूरत को रेखांकित किया। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा और मेजबान मलेशिया के प्रधानमंत्री नजीब रज्जाक ने भी अपनी मुलाकात में इस्लामिक स्टेट द्वारा फैलायी जा रही नफरत की इस विचारधारा और बुराई के खिलाफ लडऩे का संकल्प किया।
 
एक बड़ी वैश्विक चुनौती है आतंकवाद
आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में अपनी शुरुआती टिप्पणी में पीएम मोदी ने कहा, आतंकवाद एक बड़ी वैश्विक चुनौती बनकर उभरा है, जो हम सभी को प्रभावित कर रहा है। हमारा आसियान के सदस्यों के साथ शानदार द्विपक्षीय सहयोग है। और हमें यह देखना चाहिए कि हम अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र संधि को मंजूर करने की दिशा में सहयोग प्रदान करने समेत क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना सहयोग किस तरह बढ़ा सकते हैं।
 
आसियान सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने चीनी समकक्ष ली क्विंग से भी मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंध और साझा वैश्विक हितों से जुड़े विषयों पर चर्चा की। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात को रेखांकित किया कि दोनों देशों को आतंकवाद के साझा खतरे से निपटने के लिए सामरिक समन्वय बढ़ाना चाहिए।
 
पेरिस और माली में हाल के आतंकी हमलों की निंदा करते हुए मोदी ने कहा कि आतंकवाद की बुराई मानवता के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। पीएम मोदी ने कहा कि देशों को अपने राजनीतिक मतभेद भुला कर प्रभावितों की मदद के लिए साथ आना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत और चीन दोनों आतंकवाद के खतरे का सामना कर रहे हैं और इससे निपटने के लिए सामरिक समन्वय बढ़ाने की जरूरत है। वहीं चीनी प्रधानमंत्री ली ने कहा कि चीन आतंकवाद के खिलाफ है और आतंकवाद पर दोनों देशों के बीच सहयोग से एशिया को और सुरक्षित बनाने में मदद मिलेगी।
 
जापान को मेक इन इंडिया कार्यक्रम का हिस्सा बनने का न्योता
इसके अलावा पीएम मोदी ने अपने जापानी समकक्ष शिंजो अबे से भी अलग से मुलाकात की और जापान को मेक इन इंडिया कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया। दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय कनेक्टिविटी, समुद्री सुरक्षा और दक्षिण चीन सागर विवाद जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की। वहीं अबे ने कहा कि दुनिया में किसी भी अन्य द्विपक्षीय संबंधों की तुलना में भारत-जापान संबंधों में सबसे अधिक संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से चाहते हैं कि भारत-जापान विशेष सामरिक एवं वैश्विक भागीदारी का विस्तार हो।

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