Drones Attack: जर्मनी में हुए अचानक ड्रोन अटैक से मचा हड़कंप, म्यूनिख एयरपोर्ट बंद, 17 उड़ानें रद्द, 3000 यात्री फंसे
punjabkesari.in Friday, Oct 03, 2025 - 12:41 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क। जर्मनी के दूसरे सबसे व्यस्त हवाई अड्डे म्यूनिख एयरपोर्ट को आज एक ड्रोन देखे जाने के कारण अचानक बंद करना पड़ा। इस घटना से यात्रियों में अफरा-तफरी मच गई। एयरपोर्ट प्रशासन के मुताबिक इस सुरक्षा चूक के कारण 17 उड़ानें रद्द करनी पड़ीं जबकि करीब 3,000 यात्री हवाई अड्डे पर फंस गए।
यूरोप के कई देशों में डायवर्ट हुईं फ्लाइट्स
यह घटना ऐसे समय हुई जब म्यूनिख एयरपोर्ट ने इस साल के पहले छह महीनों में लगभग 2 करोड़ यात्रियों को संभाला है। अचानक हुई इस रुकावट से पूरी एयरलाइंस व्यवस्था प्रभावित हुई। कुल 17 फ्लाइट्स रद्द की गईं। 15 फ्लाइट्स को जर्मनी के अन्य एयरपोर्ट्स (स्टटगार्ट, नूर्नबर्ग, फ्रैंकफर्ट) और पड़ोसी देश ऑस्ट्रिया के विएना एयरपोर्ट पर डायवर्ट करना पड़ा। एयरपोर्ट अधिकारियों ने कहा कि हालात काबू में हैं और सुबह 5 बजे से संचालन फिर से शुरू कर दिया जाएगा। यह घटना ऐसे समय में हुई है जब हाल के दिनों में यूरोप के कई नाटो (NATO) देशों में अज्ञात ड्रोन देखे जाने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। पिछले हफ्ते ही डेनमार्क और पोलैंड के हवाई क्षेत्र में भी ड्रोन देखे गए थे जिससे हवाई यातायात घंटों बाधित रहा था।
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यूरोपीय संघ को रूस की चुनौती की आशंका
ड्रोन घटनाओं को लेकर यूरोपीय संघ (EU) के नेताओं की एक महत्वपूर्ण बैठक गुरुवार को डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में हुई। यहां इन घटनाओं के पीछे रूस का हाथ होने की आशंका जताई गई है। सुरक्षा एजेंसियों ने साफ कहा कि ये घटनाएं रूस की चुनौती का हिस्सा हो सकती हैं। डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसन ने सीधा आरोप तो नहीं लगाया लेकिन इशारों में रूस की ओर उंगली उठाते हुए कहा कि "यूरोप को अब अपनी सुरक्षा खुद मजबूत करनी होगी। हमें न सिर्फ ड्रोन बनाने की क्षमता बढ़ानी है बल्कि एंटी-ड्रोन सिस्टम भी तैयार करने होंगे।" पिछले हफ्ते डेनमार्क में कई एयरपोर्ट्स पर ड्रोन दिखने के बाद वहां सभी नागरिक ड्रोन उड़ानों पर रोक लगा दी गई थी।
संदिग्ध ड्रोन को गिराने के लिए 'ड्रोन वॉल' की तैयारी
इन बढ़ते खतरों के जवाब में यूरोपीय आयोग की प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने 'ड्रोन वॉल' बनाने का विचार पेश किया है।
क्या होता है 'ड्रोन वॉल'?
इसका मतलब है कि यूरोप की पूर्वी सीमाओं पर एक ऐसा सुरक्षा जाल तैयार किया जाए जिसमें सेंसर, रडार और हथियार तैनात हों ताकि किसी भी संदिग्ध ड्रोन को तुरंत पहचानकर गिराया जा सके। नाटो के महासचिव मार्क रुटे ने भी इस विचार का समर्थन करते हुए इसे बेहद 'जरूरी और समय पर लिया गया कदम' बताया है। जर्मनी में हुई यह घटना अब यूरोप की सुरक्षा और सैन्य तैयारियों को मजबूत करने की आवश्यकता को और बढ़ा रही है।