जंग के बाद रोते तुम भी हो, हम भी हैं फिर हम अलग कैसे?

punjabkesari.in Tuesday, Jul 04, 2017 - 04:51 PM (IST)

लंदनः दुनिया में एेसे कई देश है, जहां धर्म के नाम पर दंगा अाम बात है। यह केवल भारत या पाकिस्तान का दर्द नहीं है बल्कि हर उस देश का दर्द है, जहां धर्म के नाम पर लोगों का बेरहमी से कत्ल होता है, कभी 'जिहाद' के नाम पर तो कभी 'इस्लाम' के नाम पर, विश्व के कई कोनों में मासूम लोगों को मौत की भेंट चढ़ा दिया जा रहा है। जाे हिसा का दंश झेल रहे हैं। इस बीच लंदन यूनिवर्सिटी की सुहायमा मंजूर खान की कविता फेसबुक पर वायरल हुई है। अपनी कविता के जरिेए सुहायमा ने अपने दिल के कुछ जज़्बात जाहिर किए हैं। 

सुहायमा का कहना है कि एक इंसान को ये साबित करने की जरूरत नहीं कि वो इंसान है। वह कहती हैं, जंग के बाद रोते तुम भी हो, हम भी हैं फिर हम अलग कैसे हैं। जिंदगी के मायने तुम्हें भी सिखाए गए मुझे भी सिखाए गए। जैसा बचपन तुम्हारा था, वैसा ही मेरा भी था, फिर हम अलग कैसे हैं? फिर सुहायमा धीरे से एक सवाल करती हैं, आखिर कैसे हम जिंदगी बचाने के लिए जिंदगियां ले सकते हैं। सुहायमा का ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। फेसबुक पर महज 10 दिन में इसे 13 लाख से ज्यादा बार देखा गया है।
 


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