कुवैत का कड़ा फैसला: रातों-रात हजारों लोगों की नागरिकता छीनी! बैंक खाते किए फ्रीज
punjabkesari.in Monday, May 26, 2025 - 06:41 PM (IST)

International Desk: खाड़ी देश कुवैत ने एक चौंकाने वाला फैसला लेते हुए 37,000 से अधिक लोगों की नागरिकता एक झटके में रद्द कर दी है। इनमें 26,000 से ज़्यादा महिलाएं हैं, जिनमें से अधिकतर ने विवाह के ज़रिए कुवैती नागरिकता प्राप्त की थी। यह फैसला कुवैत के शासक अमीर शेख मिशाल अल-अहमद अल-सबा की पहल पर लिया गया है, जिसका उद्देश्य कुवैत की नागरिकता को 'रक्त संबंध' यानी मूल कुवैती वंश तक सीमित करना है। नागरिकता रद्द होने की जानकारी कई लोगों को तब मिली जब वे रोज़मर्रा के काम कर रहे थे।
जॉर्डन से आई एक महिला लामा (बदला हुआ नाम) को इस बारे में तब पता चला जब उनकी फिटनेस क्लास में क्रेडिट कार्ड फेल हो गया। जांच में पता चला कि उनका बैंक खाता फ्रीज़ कर दिया गया है क्योंकि उनकी नागरिकता रद्द की जा चुकी थी। लामा ने बताया: “20 सालों से मैं एक कानून का पालन करने वाली नागरिक रही, लेकिन आज अचानक मुझे बताया गया कि अब मैं नागरिक नहीं हूं। यह किसी सदमे से कम नहीं।”
क्यों लिया यह फैसला?
- कुवैतियों की सही पहचान करना
- नागरिकता को सिर्फ जन्मजात कुवैती वंशजों तक सीमित रखना
- मतदाता संख्या को नियंत्रित करना
- राजनीतिक और सामाजिक ढांचे में बदलाव लाना
शेख मिशाल ने दिसंबर 2023 में सत्ता संभालने के कुछ महीनों बाद ही संसद को भंग कर दिया था और संविधान के कुछ हिस्से भी निलंबित कर दिए थे। कुवैत यूनिवर्सिटी के इतिहास प्रोफेसर दल अल-सैफ के अनुसार “कुवैत में नागरिकता रद्द करना नया नहीं है, लेकिन इस बार जो संख्या है, वह ऐतिहासिक और अभूतपूर्व है।”पहले से ही कुवैत में बिदून नामक लगभग 1 लाख राज्यविहीन लोग हैं। ये खानाबदोश बेडोइन जनजाति से ताल्लुक रखते हैं, जिन्हें 1961 में कुवैत की आज़ादी के समय नागरिकता नहीं मिली थी। अब विवाह के आधार पर मिली नागरिकताओं को समाप्त करना उनके लिए भी खतरे की घंटी है।
- प्रभावित लोग अब किसी भी सरकारी सेवा के हकदार नहीं हैं।
- कई लोगों के बैंक खाते फ्रीज़ और आईडी रद्द
- कानूनी स्थिति संदिग्ध हो चुकी है।
- यह कदम अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों की चिंता बढ़ा सकता है।