श्रीलंका में प्रधानमंत्री राजपक्षे ने संसद में राष्ट्रपति की शक्तियां घटाने वाला प्रस्ताव किया पेश
punjabkesari.in Tuesday, Apr 19, 2022 - 06:11 PM (IST)
श्रीलंका: श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने राष्ट्रपति की शक्तियों पर अंकुश लगाने और संसद को सशक्त बनाने के लिए संविधान में 19वें संशोधन को बहाल करने का एक प्रस्ताव मंगलवार को पेश किया। यह प्रस्ताव ऐसे समय में पेश किया गया है, जब श्रीलंका अप्रत्याशित आर्थिक संकट से जूझ रहा है और लोग लगातार सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। पारंपरिक सिंहली और तमिल नव वर्ष के बाद संसद को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री राजपक्षे ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक आधार पर विभिन्न संकटों का समाधान खोजा जाए।
प्रधानमंत्री राजपक्षे ने कहा, ‘‘ मेरा मानना है कि संविधान में संशोधन जरूर होना चाहिए। इसकी शुरुआत के तौर पर, 19वें संशोधन को आवश्यक एवं समयबद्ध परिवर्तनों के साथ लागू करना, देश की मौजूदा स्थिति के लिए सबसे अच्छा अल्पकालिक समाधान है।'' उन्होंने संसद से कहा, ‘‘ मेरा मानना है कि 19ए को कुछ संशोधनों के साथ एक अल्पकालिक समाधान के रूप में बहाल किया जा सकता है।'' वर्ष 2015 में अपनाया गया 19ए राष्ट्रपति की शक्तियों को कम करता है और संसद को कार्यकारी राष्ट्रपति से अधिक शक्तियां देता है।
प्रधानमंत्री ने कहा,‘‘ राष्ट्रपति के आशीर्वाद से हमें भविष्य में व्यापक संवैधानिक सुधार की ओर बढ़ना चाहिए।'' संसद के अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धना ने सदन को बताया कि मौजूदा राजनीतिक संकट को दूर करने को लेकर अल्पकालिक और दीर्घकालिक समाधान तलाशने के लिए कल एक विशेष बैठक की गई थी। अभयवर्धना ने कहा, ‘‘ कई पार्टी नेताओं ने एक दीर्घकालिक उपाय के रूप में एक नए संविधान का मसौदा तैयार करने और संविधान में 21वें संशोधन को एक अल्पकालिक समाधान के रूप में लाकर संसद को मजबूत करने का आह्वान किया है।''
पूर्व प्रधानमंत्री एवं यूनाइटेड नेशनल पार्टी के नेता रानिल विक्रमसिंघे ने प्रधानमंत्री का समर्थन करते हुए कहा, ‘‘ मैं 19वें संशोधन को बहाल करने को लेकर खुश हूं। मेरा बस इतना अनुरेाध है कि सम्मानजनक तरीके से, 20वें संशोधन को जल्द से जल्द समाप्त कर दें, ताकि 19वें संशोधन को बहाल किया जा सके।'' विक्रमसिंघे की सरकार ने ही 19वां संशोधन पेश किया था। श्रीलंका 1948 में ब्रिटेन से आजाद होने के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है। देश में विदेशी मुद्रा की भारी कमी हो गई है, जिससे वह खाद्य पदार्थों और ईंधन के आयात के लिए भुगतान नहीं कर पा रहा है। देश में इसकों लेकर कई दिनों से प्रदर्शन जारी है और लगातार राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग की जा रही है।
प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने कहा था कि वह लोगों के प्रति जवाबदेह सरकार बनाने के लिए विभिन्न हलकों के अनुरोधों पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। इस बीच, श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने 2020 में रासायनिक उर्वरकों पर प्रतिबंध लगाने, आईएमएफ से देरी से सम्पर्क करने जैसी अपनी गलतियों को सोमवार को स्वीकार किया, जिस कारण देश सबसे खराब आर्थिक संकट से घिर गया। राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि उनकी सरकार को राहत के लिए बहुत पहले ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) जाना चाहिए था और आईएमएफ नहीं जाना गलती थी।