पाकिस्तान में सिखों पर हमले बढ़े, हत्या-अपहरण और जबरन धर्मांतरण की घटनाओं से खौफ में अल्पसंख्यक

punjabkesari.in Wednesday, Jun 01, 2022 - 01:04 PM (IST)

पेशावरः पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों खासतौर पर सिख समुदाय के लोगों पर आए दिन हमले हो रहे हैं। इससे सिखों में भय का माहौल बन गया है। देश में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की हत्या, अपहरण और जबरन मतांतरण की घटनाएं बढ़ गई हैं।  एशियन लाइट इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार देश में 'शरिया कानून' लागू करने की बढ़ती मांगों के बीच और सिख अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचारों में लगातार वृद्धि ने उनके लिए पाकिस्तान में जीवित रहने के लिए जगह कम कर दी है। 

 

पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों, विशेष रूप से सिखों के बीच मोहभंग बढ़ रहा है। सिखों  अत्‍याचार बहुत ज्‍यादा बढ़ गए हैं। हाल के वर्षों में पेशावर क्षेत्र में सिख और शिया अल्पसंख्यकों की टारगेट कर हत्याओं की कई घटनाओं के साथ पाकिस्तान में आतंकवाद की एक नई लहर देखी जा रही है। पेशावर के बाहरी इलाके में गत 15 मई को कुलजीत सिंह और रंजीत सिंह की निर्मम हत्या कर दी गई  ।  जनवरी 2020 में एक हिंसक भीड़ ने पंजाब प्रांत के सबसे पवित्र सिख धर्मस्थलों में से एक ननकाना साहिब गुरुद्वारा पर हमला किया और इस भीषण हमले ने पूरे पाकिस्तान में सिखों को आतंकित कर दिया। 

 

इससे उन्हें एहसास हुआ कि पंजाब अब सुरक्षित नहीं है। देश में 2014 के बाद इस तरह की यह 12वीं घटना थी। गत वर्ष सितंबर में पेशावर में यूनानी चिकित्सक सतनाम सिंह की उनकी क्लिनिक में ही हत्या कर दी गई थी। पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने इस घटना की निंदा की थी। आयोग ने कहा था कि खैबर पख्तूनख्वा में सिखों को निशाना बनाने की यह पहली घटना नहीं है। पिछले दो दशकों में जबरन धर्मांतरण के बढ़ते मामलों और खैबर पख्तूनख्वा के असुरक्षित क्षेत्रों में इस्लामिक संगठनों द्वारा टारगेट कर हमलों के कारण पाकिस्तान में सिख आबादी में भारी गिरावट देखी गई है।

 

कनाडा के विश्व सिख संगठन (WSO) ने भी पेशावर हत्याओं की निंदा की और पाकिस्तान के सिख समुदाय की सुरक्षा के लिए गहरी चिंता व्यक्त की। अपने बयान में WSO ने कहा कि पाकिस्तान में सिख असुरक्षित और असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। इसके अलावा, वे नहीं जानते कि अगर वे बाहर जाते हैं तो वे सुरक्षित घर लौट आएंगे या नहीं।  रिपोर्ट के मुताबिक खैबर पख्तूनख्वा में अधिकांश सिख आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि से आते हैं और किराने की छोटी दुकानें चलाते हैं या हकीम के रूप में काम करते हैं।  सुरक्षित स्थान पर जाना उनके लिए एक मजबूरी बनता जा रहा है क्योंकि पाकिस्तान अब खैबर पख्तूनख्वा में उनकी सुरक्षा की गारंटी नहीं देता है।

 

पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अनुसार, पाकिस्तान में केवल 15,000-20,000 सिख बचे हैं, जिनमें से लगभग 500 सिख परिवार पेशावर में हैं।  
पाकिस्तान में पिछली सरकारों ने राष्ट्रीय कार्य योजना (NAP) के क्रियान्वयन को छोड़ दिया है, जिसका उद्देश्य राष्ट्र में अल्पसंख्यकों के खिलाफ होने वाली भयावह घटनाओं को जन्म देते हुए आतंकवाद पर कार्रवाई करना था। एशियन लाइट इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों को अक्सर 'द्वितीय श्रेणी' के नागरिक के रूप में माना जाता है।


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Content Writer

Tanuja

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