चौंका देने वाली खबर! इस देश में बच्चे पैदा करने वाली स्कूली लड़कियों को मिलेगा 1 लाख रुपये, शुरू हुई 'गर्भवती सेना' योजना

punjabkesari.in Sunday, Jul 06, 2025 - 02:09 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध ने रूस के जनसांख्यिकीय संकट को और गहरा कर दिया है। इस बीच रूस सरकार ने एक बेहद विवादास्पद कदम उठाया है जिसमें कम उम्र की स्कूली लड़कियों को गर्भवती होने और बच्चे पैदा करने के लिए 100,000 रूबल (लगभग 1 लाख रुपये) का वित्तीय प्रोत्साहन देने की योजना शुरू की है। आलोचकों का कहना है कि यह कदम न केवल नैतिक रूप से गलत है बल्कि देश की सैन्य रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है।

 

क्या है यह विवादास्पद योजना?

मार्च 2025 में रूस के 10 क्षेत्रों जैसे ओर्योल, ब्रायंस्क और केमेरोवो, में शुरू हुई इस योजना के तहत गर्भवती होने वाली स्कूली लड़कियों को 100,000 रूबल (लगभग 900 पाउंड) का एकमुश्त भुगतान किया जा रहा है। न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के अनुसार यह नीति पहले केवल 18 वर्ष से अधिक उम्र की विश्वविद्यालय और व्यावसायिक छात्राओं के लिए थी लेकिन अब इसे नाबालिग स्कूली लड़कियों तक विस्तारित किया गया है। इसका मकसद रूस की घटती जनसंख्या को बढ़ावा देना और दीर्घकालिक सैन्य और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करना है।

 

रूस का गहराता जनसांख्यिकीय संकट

रूस की जन्म दर 2023 में प्रति महिला 1.41 बच्चे तक गिर गई जो जनसंख्या स्थिरता के लिए आवश्यक 2.05 से काफी कम है। यूक्रेन युद्ध में अनुमानित 2.5 लाख सैनिकों की मौत और लाखों युवा पुरुषों के देश छोड़कर भागने से यह संकट और गहरा गया है। रूस जो 14.3 करोड़ की आबादी के साथ दुनिया का नौवां सबसे बड़ा देश है अब जनसांख्यिकीय पतन के कगार पर है।

 

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'गर्भवती सेना' का सवाल और पुतिन की नीतियां

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कई बार जनसंख्या वृद्धि को राष्ट्रीय प्राथमिकता बताया है इसे सैन्य शक्ति और क्षेत्रीय वर्चस्व से जोड़ा है। कुछ विशेषज्ञ इस नई नीति को यूक्रेन युद्ध से जोड़कर देख रहे हैं जहाँ रूस को भारी सैन्य नुकसान हुआ है। एक्स (X) पर कुछ यूज़र्स ने इसे 'गर्भवती सेना' की संज्ञा दी है यह दावा करते हुए कि रूस भविष्य की सैन्य ज़रूरतों के लिए युवा आबादी तैयार करना चाहता है। एक यूज़र ने लिखा, "यह सिर्फ़ जनसंख्या बढ़ाने की नीति नहीं बल्कि युद्ध के लिए नई पीढ़ी तैयार करने की रणनीति है।"

रूस ने 2024 में 'चाइल्ड-फ्री प्रचार' पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून भी पारित किया जिसके तहत कोई भी व्यक्ति या संगठन शादी और बच्चे पैदा करने के बजाय एकल जीवन या करियर को प्राथमिकता देने की वकालत नहीं कर सकता। इसके अलावा निजी क्लीनिकों में गर्भपात पर सख्त प्रतिबंध लगाए गए हैं और सरकारी अस्पतालों में भी इसे हतोत्साहित किया जा रहा है। पुतिन ने स्टालिन-युग के 'मदरहुड मेडल' को फिर से शुरू किया जिसमें 10 या अधिक बच्चों वाली महिलाओं को 10 लाख रुपये तक की राशि दी जाती है।

 

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क्या है जनता की राय और ग्लोबल व्यू?

रूसी पब्लिक ओपिनियन रिसर्च सेंटर के सर्वे के अनुसार 43% रूसी इस नीति का समर्थन करते हैं जबकि 40% इसका विरोध करते हैं। आलोचकों का कहना है कि कम उम्र की लड़कियों को गर्भधारण के लिए प्रोत्साहित करना नैतिक रूप से गलत है और इससे किशोर गर्भावस्था की दर बढ़ सकती है। रिपोर्ट के अनुसार यह नीति 'नाबालिगों को माँ बनने के लिए मजबूर करने' जैसी है जो सामाजिक और स्वास्थ्य जोखिमों को बढ़ा सकती है।

वहीं समर्थकों का तर्क है कि यह नीति रूस के जनसांख्यिकीय संकट को हल करने के लिए ज़रूरी है। ओर्योल क्षेत्र के गवर्नर आंद्रेई क्लिचकोव ने इसे रूस के श्रम मंत्रालय की सिफारिशों के अनुरूप बताया। हालांकि सोशल मीडिया पर इस नीति की तुलना "युद्ध के लिए मानव संसाधन तैयार करने" से की जा रही है खासकर जब रूस ने यूक्रेन के कब्ज़े वाले क्षेत्रों में बच्चों को "यूनार्मिया" जैसे सैन्य प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शामिल किया है।

रूस अकेला नहीं है जो जनसंख्या बढ़ाने के लिए ऐसी नीतियाँ अपना रहा है। कई देश कम जन्म दर को संबोधित करने के लिए प्रोत्साहन दे रहे हैं:

  • अमेरिका: पूर्व में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रत्येक बच्चे के लिए 5,000 डॉलर देने का प्रस्ताव दिया था।

  • हंगरी: तीन या अधिक बच्चों वाले परिवारों को कर छूट और कम ब्याज पर ऋण।

  • पोलैंड: दूसरे बच्चे के बाद प्रत्येक बच्चे के लिए 500 ज़्लॉटी (लगभग 11,000 रुपये) मासिक।

  • इटली: प्रत्येक बच्चे के जन्म पर 1 लाख रुपये तक की नकद सहायता।

  • सिंगापुर: तीसरे बच्चे के लिए 6 लाख रुपये की सहायता।

हालांकि इन नीतियों की सफलता सीमित रही है। पोलैंड में उच्च आय वाली महिलाएँ करियर के कारण इन प्रोत्साहनों का जवाब कम देती हैं। हंगरी और पोलैंड जैसे देशों में गर्भपात पर सख्त प्रतिबंध भी लगाए गए हैं जिसे आलोचक महिलाओं की प्रजनन स्वतंत्रता पर हमला मानते हैं।

 

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क्या युद्ध का प्रभाव?

यूक्रेन युद्ध ने रूस की जनसांख्यिकीय चुनौतियों को और बढ़ा दिया है। अनुमान के मुताबिक 6 लाख से अधिक रूसी सैनिक मारे गए या घायल हुए हैं और 10 लाख से अधिक युवा, शिक्षित लोग देश छोड़कर चले गए हैं। यह न केवल रूस की सैन्य शक्ति को प्रभावित कर रहा है बल्कि भविष्य की जनसंख्या को भी कम कर रहा है। रूस की नीतियां जैसे "यूनार्मिया" कार्यक्रम जिसमें यूक्रेन के कब्ज़े वाले क्षेत्रों में बच्चों को सैन्य प्रशिक्षण दिया जा रहा है इस बात का संकेत देती हैं कि सरकार दीर्घकालिक सैन्य रणनीति के लिए युवा पीढ़ी तैयार करना चाहती है।

 

कुल प्रजनन दर (Total Fertility Rate - TFR) 2025 में कौन कहां करता है स्टैंड?

 

देश

TFR अनुमानित (2025)

टिप्पणी

भारत

1.9

रिप्लेसमेंट स्तर (2.1) से नीचे, जनसंख्या वृद्धि धीमी हो रही है।

संयुक्त राज्य अमेरिका

लगभग 1.62

 

रूस

अनुमानित 1.47

 

यूक्रेन

अनुमानित 1.0

गंभीर रूप से गिरावट।

हंगरी

लगभग 1.5

 

पोलैंड

लगभग 1.31

 

इटली

लगभग 1.21

 

सिंगापुर

लगभग 0.96

दुनिया का सबसे कम स्तर।

यूरोप के अन्य देश

1.2-1.5 के बीच

कम बच्चे पैदा हो रहे हैं।

 

2024-25 के अनुमानित आबादी और लिंग वितरण के आंकड़े

 

देश

कुल आबादी (2025)

पुरुष (लगभग)

महिलाएं (लगभग)

पुरुष-महिला विभाजन (लगभग)

भारत

~1.46 अरब (1,463.9 M)

748.3 M

702.6 M

+45.7 M पुरुष

अमेरिका

~347.3 M

173.6 M

171.9 M

+1.7 M पुरुष में

रूस

~144.0 M

67.2 M

77.6 M

महिलाएं +10.4 M

यूक्रेन

~39.0 M

17.6 M

20.3 M

महिलाएं +2.66 M

हंगरी

~9.63 M

4.67 M

4.96 M

महिलाएं +0.29 M

पोलैंड

~38.14 M

18.67 M

19.87 M

महिलाएं +1.20 M

इटली

~59.15 M

29.00 M

30.34 M

महिलाएं +1.34 M

सिंगापुर

~5.87 M

2.48 M

3.39 M

महिलाएं अधिक

 

रूस की यह नीति जो स्कूली लड़कियों को गर्भवती होने के लिए प्रोत्साहित करती है जनसांख्यिकीय संकट को हल करने की कोशिश के रूप में पेश की जा रही है लेकिन इसे यूक्रेन युद्ध के लिए "गर्भवती सेना" तैयार करने की रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है। नैतिक और सामाजिक चिंताओं के बावजूद रूस सरकार इसे राष्ट्रीय हित में ज़रूरी बता रही है। यह नीति न केवल रूस की आंतरिक चुनौतियों को दर्शाती है बल्कि वैश्विक स्तर पर प्रजनन नीतियों और युद्ध की जटिलताओं को भी उजागर करती है।


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Content Editor

Rohini Oberoi

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