पाक के कट्टरपंथी समूह ने अफगानिस्तान में तालिबान की जीत पर दी बधाई, कहा-जल्द उदय होगा इस्लामी क्रांति का सूरज
punjabkesari.in Wednesday, Jul 07, 2021 - 02:13 PM (IST)
इस्लामाबादः पाकिस्तान में जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (नजरियत) के केंद्रीय संयुक्त सचिव मौलाना महमूद उल हसन कासमी ने अफगानिस्तान में तालिबान की स्पष्ट जीत पर इस्लामी दुनिया को बधाई दी है। कासमी ने कहा कि बहुत जल्द इस्लामी क्रांति का सूरज उदय होगा क्योंकि इस्लाम के मुजाहिदीन ने औपनिवेशिक शक्तियों की कमर तोड़ दी है। उन्होंने कहा कि तालिबान ने 48 देशों की संयुक्त सेना और उनके समर्थकों को एक कड़वा सबक सिखाया है।
उन्होंने कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगियों को 19 साल तक अफगानिस्तान में रहने के अलावा बॉडी बैग और असफलता के अलावा कुछ नहीं मिला। उन्होंने दोहराया कि अफगानिस्तान में अशरफ गनी सरकार को यह महसूस करना चाहिए कि उसे अमेरिकियों के साथ सहयोग करने से कुछ नहीं मिलेगा और तालिबान जल्द ही राष्ट्र पर कब्जा कर लेगा। बता दें कि जमीयत उलमा-ए-इस्लाम (नजरियत) पाकिस्तान में एक राजनीतिक दल है। इसका गठन मौलाना अस्मातुल्लाह खान ने जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम छोड़ने के बाद किया था। यह 2007 में जेयूआई (एफ) के एक अलग गुट के रूप में गठित किया गया था और 2016 में अपने मूल संगठन, यानी जेयूआई-एफ के साथ फिर से विलय कर दिया गया था।
JUI-Nazryati नेताओं ने खुले तौर पर अफगान तालिबान और अल-कायदा का समर्थन किया है। हाफिज फजल बारीच और अन्य कट्टर पार्टी के नेताओं ने जून 2007 में एक 'शहीद मुल्ला दादुल्ला सम्मेलन' का आयोजन किया था, जहां मुल्ला दादुल्ला मंसू, जो तालिबान के सैन्य कमांडर के रूप में अपने भाई मुल्ला दादुल्ला के उत्तराधिकारी थे, ने भी एक ऑडियो रिकॉर्डिंग के माध्यम से भीड़ को संबोधित किया था। 2011 में, ऑपरेशन नेपच्यून स्पीयर में ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद, JUI-Nazryati ने क्वेटा और बलूचिस्तान के अन्य पश्तून जिलों में विरोध रैलियों और अंतिम संस्कार-प्रार्थना कार्यक्रमों का आयोजन किया था।