क्या शीत युद्ध के इतिहास को फिर से लिखने के मूड में है रूसी राष्ट्रपति, यूक्रेन को लेकर आखिर क्या है पुतिन का इरादा?

punjabkesari.in Friday, Feb 25, 2022 - 01:20 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: इस बारे में अटकलों की कमी नहीं है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का यूक्रेन को लेकर इरादा क्या है। विशाल रूसी सेना ने वस्तुत: यूक्रेन को घेर लिया है और वहां इसके जमा होने की वजह क्या है। इसका विशाल आकार- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से यूरोप में लड़ाकू सेना का सबसे बड़ा जमावड़ा- एक अधिकतमवादी सोच की तरफ इशारा करता है : यूक्रेन के विभिन्न मोर्चों पर बड़े पैमाने पर, खूनी और तेज आक्रमण करके 30 साल पहले सोवियत संघ के टूटने के अपमान को खत्म करना। दरअसल इस मौके पर एक बड़े पैमाने पर हमला आसन्न लग रहा है, अनुमानत: 80% रूसी सेना अब युद्ध के लिए तैयार स्थिति में है और पूर्वी यूक्रेन में अलगाववादी नेताओं ने औपचारिक रूप से मदद का अनुरोध किया है, जिसके पीछे उनका यूक्रेनी सेना की तरफ से हमले का झूठा दावा है।

कुछ लोग इसे अलग तरह से देखते हैं, उनका विश्वास है कि पुतिन अपने अब तक के लाभ से संतुष्ट होंगे। कुछ लोग पूर्वी यूक्रेन में अलग हुए क्षेत्रों डोनेट्स्क और लुहान्स्क को रूस की मान्यता को उन पश्चिमी नेताओं के लिए एक अग्रिम चेतावनी के रूप में मानते हैं जिन्होंने रूसी सुरक्षा चिंताओं को बार-बार नजरअंदाज किया है। एक अन्य दृष्टिकोण से पता चलता है कि पुतिन उसी हाइब्रिड रणनीति का चयन करेंगे जैसी जॉर्जिया के साथ 2008 के युद्ध में रूस ने अपनाई थी : बल प्रयोग करने की धमकी देना, अलग होने वाले क्षेत्रों को मान्यता देना और अपने विरोधी की सेना को नष्ट करना - लेकिन वास्तविक विजय से दूर रहना।

पुतिन का गुस्सा जाहिर
कौन सही है? कुछ भी हो सकता है, लेकिन रूसी उद्देश्यों की व्याख्या कैसे की जाए, यह प्रश्न 22 फरवरी को मास्को में अपनी सुरक्षा परिषद के साथ पुतिन की विचित्र बैठक के बाद स्पष्ट हो गया। बैठक में, उन्होंने रूस के जासूस प्रमुख सर्गेई नारिश्किन को हिदायत को भूल जाने और डोनेट्स्क और लुहान्स्क की स्वतंत्रता को मान्यता देने की बजाय, उनको सीधे रूस में शामिल करने का समर्थन करने के लिए अपमानित किया। बैठक पूर्वनियोजित थी। यहां तक ​​​​कि पुतिन की अपनी घड़ी पर दिखाया गया समय भी यह बता रहा था कि डोनेट्स्क और लुहान्स्क की स्वतंत्रता को मान्यता देने का हस्ताक्षर समारोह उनके प्रमुखों के साथ बैठक शुरू होने से पहले ही हो चुका था। लेकिन बाद में पुतिन के गुस्से भरे भाषण ने यह स्पष्ट कर दिया कि यह संघर्ष कितना व्यक्तिगत हो सकता है।

उन्होंने विस्तार से कहा कि यूक्रेन ‘‘कठपुतली शासन के साथ एक उपनिवेश'' था और उसे अस्तित्व का कोई अधिकार नहीं था। इसने यूएसएसआर के पतन के बारे में पुतिन के 2021 के लेख की याद दिला दी, जब उन्होंने यह कहकर यूक्रेनियन संप्रभुता और पहचान से इनकार किया कि रूस और यूक्रेन के लोग एक ही थे। इस सप्ताह के उनके भाषण में यह झूठा दावा कि रूसी क्रांतिकारी व्लादिमीर लेनिन ने यूक्रेन का निर्माण किया, शक्तिशाली जोसेफ स्टालिन की प्रशंसा के साथ यह काल्पनिक आरोप शामिल था कि यूक्रेन परमाणु हथियार विकसित करने की कोशिश करेगा। ऐसा करते हुए, पुतिन एक व्यावहारिक मास्टर रणनीतिकार की तुलना में इतिहास की एक अस्थिर समझ वाले एक रूसी अति राष्ट्रवादी की तरह दिख रहे थे।

इतिहास को फिर से लिखने का एक निजी मिशन
उनकी इन बातों को घरेलू रणनीति मानकर खारिज किया जा सकता है- पूर्ण कमान में एक राष्ट्रपति जो संघर्ष से सावधान आबादी से देशभक्ति की अपील करता है। लेकिन ऐसा लगता है कि पुतिन इसे शीत युद्ध के अंत के इतिहास को फिर से लिखने के अपने निजी मिशन के रूप में मानते हैं। यह उनकी विरासत के बारे में उनकी चिंताओं से परे है, या रूस को उसकी पूर्व महानता को बहाल करने के अपने वादे को पूरा करने की इच्छा से भी परे है। रूस की सीमाओं पर नाटो के निरंतर खतरे की कहानी की बजाय यह मिशन अभी उनकी आक्रामकता की असली वजह लगता है।

बेलारूस में 30,000 रूसी सैन्यकर्मी अनिश्चितकाल तक रहेंगे
वास्तव में, यूक्रेन की सीमाओं पर उनकी विशाल सेना (रूस की कुल युद्ध शक्ति का लगभग 60%) का जमावड़ा रूस पर नाटो और संभावित पश्चिमी आक्रमण पर उनकी कथित चिंताओं को कम करता है। इसके लिए उन्हें एस्टोनिया और लातविया के साथ सीमा के पास सहित पूरे गैरीसन को स्थानांतरित करने की आवश्यकता है, जो दोनों नाटो के सदस्य हैं। उन्होंने यह भी आदेश दिया है कि बेलारूस में 30,000 रूसी सैन्यकर्मी अनिश्चितकाल तक रहेंगे, यह सुनिश्चित करते हुए कि मिन्स्क भी मास्को से कसकर बंधे रहे। यह प्रभावी रूप से नए क्षेत्र को जोड़ता है जहां पुतिन सैन्य बलों और यहां तक ​​​​कि संभावित परमाणु हथियारों को तैनात कर सकते हैं। पुतिन ने आर्थिक जोखिमों की गणना की है। यह सब इंगित करता है कि यूक्रेन में संघर्ष नाटो के बहुप्रचारित खतरे की तुलना में रूस के क्षेत्रीय स्तार के बारे में अधिक है। दरअसल, यह जानबूझकर नाटो के करीब धकेला जा रहा है। और इसका निहितार्थ यह है कि पुतिन जोखिम की गणना कैसे करते हैं।

 

 


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Content Editor

rajesh kumar

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