नागरिकता विधेयक पर इमरान ने भारत सरकार पर किया प्रहार
punjabkesari.in Thursday, Dec 12, 2019 - 05:56 PM (IST)
इस्लामाबाद, 12 दिसंबर (भाषा) पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बृहस्पतिवार को भारत सरकार पर आरोप लगाया कि वह सुनियोजित तरीके से ‘‘हिंदू सर्वोच्चवादी एजेंडा’’ को आगे बढ़ा रही है और ‘‘इससे पहले कि देर हो जाए, विश्व को अवश्य ही कदम उठाना चाहिए।’’
खान ने सिलसिलेवार ट्वीट में विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) विधेयक का जिक्र किया।
उन्होंने ट्विटर पर कहा, ‘‘भारत, (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी के तहत हिंदू सर्वोच्चवादी एजेंडा के साथ सुनियोजित तरीके से आगे बढ़ रहा है।’’
खान ने कहा, ‘‘परमाणु खतरे के तहत पाकिस्तान को धमकियों के साथ यह एजेंडा बड़े पैमाने पर खून-खराबे की ओर ले जाएगा और दुनिया के लिए इसके दूरगामी परिणाम होंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इससे पहले कि देर हो जाए, विश्व को अवश्य ही इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए।’’
खान की इस टिप्पणी पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने नयी दिल्ली में कहा कि पाकिस्तान को भारत के आंतरिक मामलों पर टीका टिप्पणी करने के बजाय (पाकिस्तान में) अल्पसंख्यकों के साथ अपने बर्ताव पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थी -- हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों-- को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का इस विधेयक में प्रस्ताव किया गया है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
खान ने सिलसिलेवार ट्वीट में विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) विधेयक का जिक्र किया।
उन्होंने ट्विटर पर कहा, ‘‘भारत, (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी के तहत हिंदू सर्वोच्चवादी एजेंडा के साथ सुनियोजित तरीके से आगे बढ़ रहा है।’’
खान ने कहा, ‘‘परमाणु खतरे के तहत पाकिस्तान को धमकियों के साथ यह एजेंडा बड़े पैमाने पर खून-खराबे की ओर ले जाएगा और दुनिया के लिए इसके दूरगामी परिणाम होंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इससे पहले कि देर हो जाए, विश्व को अवश्य ही इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए।’’
खान की इस टिप्पणी पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने नयी दिल्ली में कहा कि पाकिस्तान को भारत के आंतरिक मामलों पर टीका टिप्पणी करने के बजाय (पाकिस्तान में) अल्पसंख्यकों के साथ अपने बर्ताव पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थी -- हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों-- को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का इस विधेयक में प्रस्ताव किया गया है।
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