नरसंहार विधेयक पर दस्तखत करेंगे पोलैंड के राष्ट्रपति

punjabkesari.in Tuesday, Feb 06, 2018 - 10:14 PM (IST)

वारसा: पोलैंड के राष्ट्रपति ने मंगलवार को कहा कि इस्राइल और अमेरिका की ओर से की जा रही कटु आलोचना के बावजूद वह उस विवादित प्रस्ताव को कानून बनाने के लिए दस्तखत कर देंगे जिससे यहूदी नरसंहार के दौरान नाजी जर्मनी की ओर से किए गए अपराधों के लिए एक देश के तौर पर पोलैंड को जिम्मेदार ठहराने पर पाबंदी लग जाएगी।

हालांकि, राष्ट्रपति एंड्रेज डूडा ने यह भी कहा कि वह देश के संवैधानिक न्यायालय से कहेंगे कि वह विधेयक का आकलन करें, जिससे सैद्धांतिक तौर पर संसद की ओर से इसे संशोधित करने की राह खुल जाएगी। इस प्रस्तावित कानून के तहत नाजी जर्मनी के अपराधों के लिए पोलैंड को जिम्मेदार ठहराने पर तीन साल तक की जेल की सजा हो सकती है। इस मुद्दे पर पोलैंड और इस्राइल के बीच कूटनीतिक संकट पैदा हो गया है। इस्राइल को डर है कि इससे नरसंहार के बारे में खुलकर बातचीत नहीं हो सकेगी और द्वितीय विश्व युद्ध में पोलैंड पर जर्मन कब्जे के दौरान यहूदियों की हत्या करने वाले या उन्हें प्रताडि़त करने वाले पोलिश नागरिकों की भूमिका पर पोलैंड पर्दा डालने में कामयाब हो जाएगा।

अमेरिका भी इस विधेयक के विरोध में है। उसकी दलील है कि इससे इस्राइल और अमेरिका के साथ उसके सामरिक रिश्तों को नुकसान पहुंच सकता है। उसे यह डर भी है कि इस कानून से अभिव्यक्ति एवं अकादमिक शोध की आजादी को नुकसान हो सकता है। विवादित कानून का बचाव करते हुए डूडा ने कहा कि यह नरसंहार में जीवित बचे लोगों और चश्मदीदों को व्यक्तिगत तौर पर पोलिश नागरिकों की ओर से किए गए अपराधों पर बातें करने से नहीं रोकेगा। उन्होंने अपने संबोधन में कहा, ‘‘हम इस बात से इनकार नहीं करते कि बड़े पैमाने पर दुष्टता के मामले सामने आए थे।’’

लेकिन डूडा ने कहा कि कानून का मकसद पोलैंड और पोलिश नागरिकों को नरसंहार में संस्थागत तौर पर शामिल होने के गलत आरोपों से बचाना है। उन्होंने कहा, ‘‘नहीं, पोलिश नागरिकों ने सुनियोजित तरीके से कतई इसमें हिस्सा नहीं लिया।’’ संसद ने पहले इस विधेयक को मंजूरी दे दी थी। यह साफ नहीं है कि संवैधानिक पंचाट इसमें कोई बदलाव करने को कहेगा कि नहीं, क्योंकि इस पर पोलैंड की रूढि़वादी सत्ताधारी पार्टी लॉ एंड जस्टिस पार्टी (एलजेपी) का नियंत्रण है।
 


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