PM मोदी ने जी-7 के सातवें कार्य सत्र को किया संबोधित, कहा- हम इतिहास के महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़े हैं

punjabkesari.in Saturday, May 20, 2023 - 05:53 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन की चुनौती को ऊर्जा के संदर्भ से परे देखने की जरूरत पर बल देते हुए आज कहा कि यदि हम इन चुनौतियों से निपटने के लिए जरूरतमंद देशों को स्वच्छ प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण और किफायती ऋण उपलब्ध नहीं करा सके तो इस संकट से निजात नहीं पा सकेंगे। मोदी ने आज यहां जी-7 के सातवें कार्य सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि आज हम इतिहास के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़े हैं।

अनेक संकटों से ग्रस्त विश्व में जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा, आज के समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से हैं। इन बड़ी चुनौतियों का सामना करने में एक बाधा यह है कि हम जलवायु परिवर्तन को केवल ऊर्जा के परिप्रेक्ष्य से देखते हैं। हमें अपनी चर्चा का दायरा बढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता में पृथ्वी को माँ का दर्जा दिया गया है और इन सभी चुनौतियों के समाधान के लिए हमें पृथ्वी की पुकार सुननी होगी। उसके अनुरूप अपने आप को, अपने व्यवहार को बदलना होगा।

इसी भावना से भारत ने पूरे विश्व के लिए मिशन लाइफ, अंतरराष्ट्रीय सौर गठजोड़ (आईएसए), आपदा निरोधक अवसंरचना गठबंधन (सीडीआरआई), मिशन हाइड्रोजन, जैवईंधन गठजोड़, बिग कैट एलायंस जैसे संस्थागत समाधान खोजे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत के किसान ‘हर बूंद, अधिक उपज' के मिशन पर चलते हुए पानी की एक एक बूँद बचा कर प्रगति और विकास की राह पर चल रहे हैं। हम नेट ज़ीरो 2070 के हमारे लक्ष्य की ओर तेज़ी से बढ़ रहे हैं।

हमारे विशाल रेलवे नेटवर्क ने 2030 तक नेट ज़ीरो तक पहुँचने का निर्णय लिया है। इस समय भारत में नवीकरणीय ऊर्जा की स्थापित क्षमता लगभग 175 गीगावॉट है। 2030 यह 500 गीगावॉट पहुँच जाएगी । उन्होंने कहा कि हमारे सभी प्रयासों को हम पृथ्वी के प्रति अपना दायित्व मानते हैं। यही भाव हमारे विकास की नींव हैं और हमारी विकास यात्रा के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों में निहित हैं। भारत की विकास यात्रा में पर्यावरण प्रतिबद्धताएं कोई बाधा नहीं बल्कि उत्प्रेरक का काम कर रहे हैं।

मोदी ने कहा, ‘‘जलवायु कारर्वाई की दिशा में आगे बढ़ते हुए हमें प्रदूषण रहित और स्वच्छ तकनीकी आपूर्ति श्रृंखलाओं को लचीला बनाना होगा। अगर हम जरूरतमंद देशों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और किफायती ऋण उपलब्ध नहीं कराएँगे तो हमारी चर्चा केवल चर्चा ही रह जायेगी। जमींन पर बदलाव नहीं आ पायेगा।'' उन्होंने कहा, ‘‘मैं गर्व से कहता हूँ कि भारत के लोग पर्यावरण के प्रति सचेत हैं और अपने दायित्वों को समझते हैं। सदियों से इस दायित्व का भाव हमारी रगों में बह रहा है। भारत सभी के साथ मिलकर अपना योगदान देने के लिए पूरी तरह से तैयार है।''


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News Editor

Parveen Kumar

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