पाक सरकार ने टेके कट्टरपंथियों के आगे घुटने, अल्पसंख्यक अर्थशास्त्री का नामांकन लिया वापस

punjabkesari.in Friday, Sep 07, 2018 - 05:59 PM (IST)

इस्लामाबादः पाकिस्तान सरकार ने कट्टरपंथियों के आगे घुटने टेकते हुए शुक्रवार को मशहूर अर्थशास्त्री आतिफ मियां का नवगठित आॢथक पैनल के सदस्य के तौर पर नामांकन वापस ले लिया।  आतिफ मियां अल्पसंख्यक अहमदी समुदाय के सदस्य हैं।  प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व वाली ‘पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ’ (पीटीआई) की सरकार ने आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी) के लिए मियां के नामांकन का बचाव करते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा था कि वह ‘‘कट्टरपंथियों के आगे घुटने नहीं टेकेंगे।’’ पाकिस्तान के संविधान में अहमदियों को गैर मुस्लिम घोषित किया गया है और उनकी मान्यताओं को कई प्रमुख इस्लामिक स्कूलों में ईनिंदा माना जाता है। अक्सर कट्टरपंथी उनको निशाना बनाते रहे हैं और उनके धार्मिक स्थलों पर भी तोड़-फोड़ की जाती रही है।

मियां को हाल ही में 18 सदस्यीय ईएसी के सदस्य के तौर पर नामित किया गया था। ‘शीर्ष 25 सबसे प्रतिभाशाली युवा अर्थशास्त्री’की अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष सूची में शामिल यह अकेले पाकिस्तानी हैं। मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलोजी से शिक्षित आतिफ मियां प्रतिष्ठित प्रिंस्टन यूनिर्विसटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं और पाकिस्तानी अमेरिकी हैं।  नामांकन वापस लेने की पुष्टि करते हुए संचार मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि सामाजिक स्तर पर किसी भी तरह के बंटवारे से बचने के लिए सरकार ने ईएसी के लिए मियां का नामांकन वापस लेने का फैसला किया है।  ‘डॉन’ ने उनके हवाले से कहा, ‘‘सरकार विद्वानों और सभी सामाजिक समूहों के साथ आगे बढऩा चाहती है और अगर केवल एक नामांकन इसके विपरित धारणा बनाए तो यह गलत होगा।

चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री खान के मुताबिक वह मदीना को आदर्श शासन मानते हैं और उनके मंत्रिमंडल के सदस्य पैगंबर मोहम्मद को आला मुकाम देते हैं। उन्होंने कहा कि खत्म-ए-नबुअत (अर्थात पैगंबर मोहम्मद अल्लाह के आखिरी रसूल थे) हमारी आस्था है और सरकार को ईनिंदा मामले में हाल ही में मिली सफलता इसे प्रतिबिम्बित करती है। ‘जियो टीवी’ की खबर के अनुसार पीटीआई सीनेटर फैजल जावेद ने कहा कि मियां पद छोडऩे को तैयार हो गए हैं और उनकी जगह कौन लेगा इसकी घोषणा जल्द की जाएगी। मंगलवार को नामांकन का बचाव करते हुए सरकार ने कहा था कि पाकिस्तान अल्पसंख्यकों का भी उतना ही है जितना कि बहुसंख्यकों का..।’


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Isha

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