Trump का नया फरमान लागू, अब अमेरिका की आलोचना करने वालों को नहीं मिलेगा वीजा
punjabkesari.in Thursday, May 29, 2025 - 10:50 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क। अमेरिका जो अक्सर दूसरे देशों के मामलों में दखलंदाजी करने के लिए जाना जाता है अब खुद अपनी आलोचना से परेशान है। भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान डोनाल्ड ट्रंप के रवैये को लेकर भारत ने जिस तरह उन्हें आईना दिखाया था वह इस बात का एक उदाहरण था। सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया भर के कई देश और उनके नेता धार्मिक स्वतंत्रता और अन्य मुद्दों पर अमेरिकी संस्थानों की आलोचना करते रहते हैं। अब इस पर लगाम लगाने के लिए ट्रंप प्रशासन ने एक नई और सख्त वीजा नीति का ऐलान किया है। इस नीति के तहत जो नेता या अधिकारी अमेरिका की आलोचना करेंगे उन्हें अमेरिका में प्रवेश नहीं मिलेगा।
विदेश मंत्री मार्को रुबियो का ऐलान: अभिव्यक्ति की आज़ादी पर अमेरिकी रुख
अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने इस नई नीति की घोषणा करते हुए बताया कि यह उन विदेशी अधिकारियों और अन्य लोगों पर लागू होगी जो अमेरिकियों को सेंसर करने, जुर्माना लगाने, उत्पीड़न करने या उनके खिलाफ आपराधिक आरोप लगाने में शामिल हैं। रुबियो ने स्पष्ट किया, लंबे समय से अमेरिकियों को विदेशी अधिकारियों द्वारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए जुर्माना, उत्पीड़न और आरोपों का सामना करना पड़ा है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अमेरिकी जीवनशैली का मूलभूत अधिकार है जिस पर विदेशी सरकारों का कोई अधिकार नहीं है।
यह दर्शाता है कि अमेरिका अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को कितना महत्व देता है और अब वह इस पर किसी भी विदेशी हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं करेगा।
वीजा अयोग्यता का आधार क्या होगा?
रुबियो ने यह भी स्पष्ट किया कि यह नीति उन विदेशी नागरिकों को अमेरिका में प्रवेश से रोकेगी जो अमेरिकियों के अधिकारों को कमजोर करते हैं। उन्होंने कहा, चाहे वह लैटिन अमेरिका हो, यूरोप हो या कहीं और जो लोग अमेरिकियों के अधिकारों को दबाने का प्रयास करते हैं उनके लिए निष्क्रियता के दिन खत्म हो गए हैं।
हालांकि अमेरिकी विदेश विभाग ने अभी तक यह साफ नहीं किया है कि इस नीति को कैसे लागू किया जाएगा या वीजा अयोग्यता निर्धारित करने के लिए किन सबूतों का इस्तेमाल किया जाएगा। यह स्पष्टता न होने से आने वाले समय में कुछ विवाद पैदा हो सकते हैं।
अमेरिका फर्स्ट नीति का हिस्सा
यह कदम ट्रंप प्रशासन की अमेरिका फर्स्ट नीति का ही एक हिस्सा है जो विदेशी हस्तक्षेप के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने पर जोर देती है। रुबियो पहले भी विदेशी छात्रों और आगंतुकों के वीजा रद्द करने की वकालत कर चुके हैं खासकर उन लोगों के लिए जिन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना जाता है।
यह नया नियम वैश्विक स्तर पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बहस को और तेज़ कर सकता है क्योंकि यह विदेशी सरकारों और व्यक्तियों को अमेरिकी नीतियों की आलोचना करने से हतोत्साहित कर सकता है।
किस पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर?
विश्लेषकों का मानना है कि इस नीति का प्रभाव यूरोप और लैटिन अमेरिका जैसे क्षेत्रों में अधिक देखा जा सकता है जहां अमेरिकी नागरिकों को स्थानीय कानूनों के तहत अभिव्यक्ति के लिए दंडित किया गया है।
हालांकि बिना स्पष्ट दिशानिर्देशों के यह नीति विवादास्पद हो सकती है और इसे कानूनी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ सकता है। यह कदम अमेरिका की विदेश नीति में एक नए युग की शुरुआत का संकेत देता है जहाँ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को वैश्विक स्तर पर संरक्षित करने की कोशिश की जा रही है लेकिन अपने ही अंदाज़ में। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह नई नीति अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर क्या असर डालती है।