भारत से लौटते ही मुइज्जू ने बदल डाली सरकार! 7 मंत्रियों-43 उपमंत्रियों को हटाया
punjabkesari.in Wednesday, Oct 16, 2024 - 05:56 AM (IST)
इंटरनेशनल डेस्कः मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने भारत से लौटने के बाद अपनी सरकार में बड़ा फेरबदल किया है। भारत से आर्थिक पैकेज लेकर लौटते ही मुइज्जू ने अपनी सरकार के सात राज्य मंत्री, 43 उपमंत्री, 109 वरिष्ठ राजनीतिक निदेशक और 69 राजनीतिक निदेशकों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। उनका मानना है कि इससे सरकारी खजाने में बड़ी बचत होगी। इसके पीछे मकसद सरकारी खर्च कम करना है।
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़ू ने मंगलवार को राजकोषीय और बाहरी असंतुलन को दूर करने, निवेशकों का विश्वास बनाने और मध्यम अवधि में ऋण को कम करने के लिए प्रमुख लागत-कटौती सुधार की घोषणा की। राष्ट्रपति के आधिकारिक एक्स अकाउंट के माध्यम से इस निर्णय को जनता के साथ साझा किया।
मुइज्जू ने एक्स पर लिखा, "आर्थिक सुधार एजेंडे के भाग के रूप में, प्रत्यक्ष लागत-कटौती उपाय के रूप में मैंने आज अगले 15 दिनों के भीतर विभिन्न सरकारी मंत्रालयों से 228 राजनीतिक नियुक्तियों को हटाने का निर्देश दिया है। इसमें 7 राज्य मंत्री, 43 उप मंत्री, 109 वरिष्ठ राजनीतिक निदेशक और 69 राजनीतिक निदेशक शामिल हैं। इससे सरकारी बजट से प्रति माह 5।714 मिलियन आरएफ की बचत होगी।"
तब भारत ने दिया था बड़ा पैकेज
वर्ल्ड बैंक ने हाल ही में कहा था कि मालदीव की आर्थिक हालत काफी तेजी से खराब हो रही है। वहां की अर्थव्यवस्था कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रही है। ऐसे में मालदीव को तुरंत आर्थिक सुधारों की जरूरत है। इसी के बाद मुइज्जू भारत आए और आर्थिक पैकेज की मांग की। भारत ने उन्हें 400 मिलियन डॉलर का पैकेज दिया है। भारत से लौटने के बाद मुइज्जू आर्थिक हालात को सुधारने के लिए लगातार कड़े फैसले ले रहे हैं। सरकारी मंत्रालयों, राष्ट्रपति कार्यालय, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति निवास में काम करने वालों की संख्या में कटौती की गई है।
कर्ज के बोझ तले डूबा मालदीव
मालदीव बजट घाटे और कर्ज के बोझ से जूझ रहा है। विदेशी मुद्रा भंडार 440 मिलियन डॉलर तक गिर जाने के कारण उसे कर्ज चुकाने में दिक्कत हो रही है। पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के कार्यकाल के दौरान मालदीव ने चीन से भारी उधार लिया था। अभी भी चीन का मालदीव पर 1।37 बिलियन डॉलर बकाया है। मालदीव को पता है कि उसे सिर्फ भारत ही इस मामले में मदद कर सकता है।