क्या इसलिए अमरीकियों को चाहिए बंदूक!

Tuesday, Oct 03, 2017 - 10:48 AM (IST)

अमरीका के लास वेगास में एक संगीत समारोह के दौरान एक व्यक्ति द्वारा की गई गोलीबारी में कम से कम 50 लोगों की मौत हो गई और 400 से अधिक लोग घायल हो गए। अमरीका के इतिहास में अभी तक की यह सबसे घातक गोलीबारी की घटना है, जिसमें दिमागी तौर पर कमजोर एक अमरीकी बंदूकधारी ने अंधाधुंध फायरिंग करके उन लोगों की जान ले ली, जिसे वे जानते तक नहीं हैं। 

अमरीका में आसानी से उपलब्ध गन के ऊपर सालों से चर्चा होती रही है। यहां तक कि राष्ट्रपति के चुनाव के समय भी बंदूक के अधिकार के ऊपर अमरीका के दोनों दलों के बीच मतभेद भी रहा। एक तरफ जहां रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप बंदूक पर नियंत्रण करने को अधिकार को सीमित करना बता रहे थे, तो दूसरी ओर डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन ने इस अधिकार को सीमित करने पर अपनी सहमति जताई थी। चुनाव से पहले अमरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा था ‘मैंने कुछ महीने पहले कहा था, उससे कुछ महीने पहले भी कहा था और हर बार जब हम गोलीबारी की घटना देखेंगे तो दोबारा कहूंगा। इससे निपटने के लिए हमारा सोचना या प्रार्थना करना ही काफी नहीं है।’ 

हालांकि, ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद शस्त्र नियंत्रण पर कानून बनाने की नीति फिर ठंढे बस्ते में चली गई लेकिन लास बेगास की घटना ने अमरीकियों के बंदूक रखने के अधिकार पर फिर से एक सवाल उठाया है। दरअसल अमरीका में बंदूक संस्कृति की जड़ें इसके औपनिवेशिक इतिहास, संवैधानिक प्रावधानों और यहां की राजनीति में देखी जा सकती हैं। कभी ब्रिटेन के उपनिवेश रहे अमरीका का इतिहास आजादी के लिए लडऩे वाले सशस्त्र योद्धाओं की कहानी रहा है। बंदूक अमरीकी आजादी के सेनानियों के लिए आंदोलन का सबसे बड़ा औजार रही।  इसलिए यह नायकत्व और गौरव की निशानी बन गई। 
यही वजह है कि जब नागरिक अधिकारों को परिभाषित करने के लिए 15 दिसंबर 1791 को अमरीकी संविधान में दूसरा संशोधन हुआ तो उसमें बंदूक रखने को एक बुनियादी अधिकार माना गया।  इस संशोधन में कहा गया, ‘राष्ट्र की स्वाधीनता सुनिश्चित रखने के लिए हमेशा संगठित लड़ाकों की जरूरत होती है।  हथियार रखना और उसे लेकर चलना नागरिकों का अधिकार है जिसका उल्लंघन नहीं होना चाहिए।’ अमरीका के पहले राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन का भी कहना था कि बंदूक अमरीकी नागरिक की आत्मरक्षा और उसे राज्य के उत्पीडऩ से बचाने के लिए जरूरी है। यही वजह है कि जब भी बंदूकों पर लगाम लगाने की बात होती है तो इसे एक तरह से संविधान पर मंडरा रहे खतरे की तरह पेश किया जाता है।     

88.8 फीसदी लोगों के पास बंदूकें 
अमरीका में बंदूक रखना उतना ही आसान है जिस तरह से भारत जैसे देशों में लाठी-डंडा रखना।  यहां 88.8 फीसदी लोगों के पास बंदूकें हैं जो दुनिया में प्रति व्यक्ति बंदूकों की संख्या के लिहाज से सबसे बड़ा आंकड़ा है।  यही वजह है कि प्रति 10 लाख आबादी पर सरेआम गोली चलाने की घटनाएं दुनिया में सबसे अधिक अमरीका में ही होती है। साल  2012 में इनकी दर 29.7 रही। लेकिन, इसके बावजूद यहां बंदूक रखने के अधिकार के पक्ष में ज्यादा लोग दिखाई पड़ते हैं। 

शस्त्र नियंत्रण पर सीनेट की चुप्पी 
साल 2016 को अमरीकी संसद में शस्त्र नियंत्रण के लिए एक प्रस्ताव लाया गया था, लेकिन यह प्रस्ताव बुरी तरह गिर गया था। सीनेट में इस संबंध में चार प्रस्ताव पेश किए गए थे, लेकिन चारों ही प्रस्ताव सीनेट में आगे बढ़ाए जाने के लिए जरूरी न्यूनतम 60 वोट हासिल नहीं कर पाए। इनमें से एक प्रस्ताव यह भी था कि किसी व्यक्ति को बंदूक बेचे जाने से पहले उसकी पृष्ठभूमि की गहराई से जांच की जाए। इसके अलावा आए प्रस्तावों में पृष्ठभूमि जांच तंत्र के लिए वित्तीय कोष बढ़ाने, आतंकी या अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों की पृष्ठभूमि जांचने के लिए ज्यादा समय देने और आतंकी निरीक्षण सूचियों में दर्ज लोगों को बंदूकें न बेचे जाने की बात कही गई थी। -राजीव कुमार

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