जानें OIC संगठन के बारे में सबकुछ, जहां भारत ने दी पाक को मात

punjabkesari.in Friday, Mar 01, 2019 - 02:25 PM (IST)

नई दिल्लीः विदेश मंत्री सुषमा स्वराज शुक्रवार को इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) की बैठक के उद्घाटन सत्र में शामिल हुई। स्वराज देश की पहली विदेश मंत्री है जो इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी की बैठक में शामिल हुई। भारत-पाकिस्‍तान तनाव के बीच पाकिस्‍तान ने इस बैठक में हिस्‍सा लेने से मना कर दिया। पाकिस्‍तान ने इसमें भारत को आमंत्रित करने पर आपत्ति जताते हुए ओआईसी विदेश मंत्रियों की भी बैठक में हिस्‍सा लेने से मना कर दिया था  लेकिन फिर भी पाकिस्तान की एक न चली और उसे एक बार फिर भारत से मात खानी पड़ी। ओआईसी कश्मीर के संबंध में अक्सर पाकिस्तान के रवैये का समर्थन करता रहा है।  आइए आज ओआईसी की पूरी प्रोफाइल के बारे में आपको बताते है।
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क्या है OIC
ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) मुस्लिम देशों का संगठन है। चार महादेशों में 57 देश इसके सदस्य हैं। 25 सितंबर, 1969 को मोरक्को की राजधानी रबात में मुस्लिम देशों का एक सम्मेलन हुआ था। उसी सम्मेलन में इस संगठन के स्थापना का फैसला किया गया था। इसका मुख्यालय सऊदी अरब के जेद्दाह में है। इसके मौजूदा महासचिव युसूफ बिन अहमद अल उसैमीन हैं। इस्लामिक कॉन्फ्रेंस ऑफ फॉरेन मिनिस्टर (आईसीएफएम) की 1970 में पहली मीटिंग हुई।
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ओआईसी के अहम अंग

  • इस्लामिक समिट (Islamic Summit)
  • काउंसिल ऑफ फॉरेन मिनिस्टर्स (सीएफएम) (Council of Foreign Ministers-CFM)
  • महासचिवालय
  • अलकुद्स कमिटी
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कमिटी
  • आर्थिक एवं व्यापार कमिटी
  • सूचना एवं संस्कृति कमिटी
  • इस्लामिक विकास बैंक
  • इस्लामी शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन


ओआईसी में पाकिस्तान की काफी मजबूत
ओआईसी में पाकिस्तान की काफी मजबूत स्थिति है। आबादी के मामले में यह ओआईसी का दूसरा सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है। यह अकेला मुस्लिम देश है जिसके पास परमाणु बम है। इसके अलावा मुस्लिम देशों में बड़ी संख्या में पाकिस्तान के लोग काम करते हैं। कश्मीर पर ओआईसी का रुख पाकिस्तान से अलग नहीं है। पाकिस्तान कश्मीर के मामले पर समर्थन जुटाने के लिए ओआईसी को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करता है।

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57 मुस्लिम देश OIC के सदस्य
कुल 57 मुस्लिम देश OIC के सदस्य हैं। इसके सदस्यों के अलावा कुछ देशों और संगठनों को इसके पर्यवेक्षक का दर्जा भी दिया जाता है। बांग्लादेश की ओर से भारत को इसका पर्यवेक्षक बनाने की मांग की जा चुकी है लेकिन अब तक इस पर आगे कोई प्रगति नहीं हुई है। इस संगठन का सबसे बड़ा उद्देश्य सदस्य राष्ट्रों के बीच आपसी एकता के बंधन को मजबूत करना और उनके हितों की रक्षा करना है। यह संगठन सदस्य राष्ट्रों की अखंडता, उनकी स्वायत्ता और स्वतंत्रता को सुनिश्चित रखने के लिए काम करकता है। इस्लामी राष्ट्रों के बीच आर्थिक व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सामान्य इस्लामी बाजार की स्थापना इसके अहम उद्देश्यों में से एक है।
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OIC के साथ भारत का एक लाख 63 हजार करोड़ का व्यापार
इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) का गठन 1969 में किया गया था और पाकिस्तान इसका संस्थापक सदस्य देश है। इस संगठन में 57 सदस्य हैं, जिसमें 40 मुस्लिम बाहुल्य देश हैं। इस लिहाज से संयुक्त राष्ट्र के बाद यह दूसरा बड़ा अंतर सरकारी संगठन है। OIC में पाकिस्तान को नजरअंदाज करते हुए भारत को महत्व देने के पीछे एक बड़ा कारण यह है कि 57 सदस्यीय समूह के साथ भारत का व्यापार एक लाख 63 हजार करोड़ का है और इन देशों में 12 मिलियन भारतीय रहते हैं। इस मंच पर भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को बुलाया जाना इसलिए भी अहम है क्योंकि 50 साल बाद भारत को न्योता दिया है।

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50 साल पहले भी मिला था निमंत्रण
सितंबर 1969 में मोरक्को की राजधानी रबात में इस्लामिक समिट कॉन्फ्रेंस का आयोजन हुआ था। उसमें भारत को आधिकारिक प्रतिनिधि के तौर पर आमंत्रित किया गया। भारत के राजदूत ने पहले सत्र में शिरकत की थी क्योंकि उस समय तक भारत का प्रतिनिधिमंडल वहां नहीं पहुंचा था। बाद में प्रतिनिधिमंडल के अध्यक्ष कांग्रेस लीडर फखरुद्दीन अली अहमद सम्मेलन में हिस्सा के लिए मोरक्को पहुंचे थे।


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Isha

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