ट्रंप की धमकी बाद जॉर्डन का फिलिस्तीनियों को बसाने से इंकार, सिर्फ गाजा के 2000 बीमार बच्चों को देगा शरण

punjabkesari.in Wednesday, Feb 12, 2025 - 05:56 PM (IST)

Washington: अमेरिका दौरे पर गए जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला ने साफ कर दिया है कि उनका देश फिलिस्तीनियों को बसाने की योजना का समर्थन नहीं करेगा। हालांकि, उन्होंने घोषणा की है कि जॉर्डन गाजा के 2000 गंभीर रूप से बीमार बच्चों को अपने यहां इलाज के लिए शरण देगा। इनमें कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित बच्चे शामिल हैं, जिन्हें जल्द से जल्द जॉर्डन पहुंचाया जाएगा। मंगलवार को व्हाइट हाउस में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात के दौरान किंग अब्दुल्ला ने इस फैसले की जानकारी दी। ट्रम्प फिलिस्तीनियों को गाजा से बाहर निकालकर मिस्र और जॉर्डन में बसाने की योजना बना रहे हैं और इस पर सहमति न देने पर दोनों देशों की अमेरिकी आर्थिक मदद रोकने की चेतावनी भी दे चुके हैं।  

 

हालांकि, अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट कर स्पष्ट किया कि जॉर्डन फिलिस्तीनियों को स्थायी रूप से बसाने की योजना का हिस्सा नहीं बनेगा।  ट्रम्प ने हाल ही में अपने एक बयान में कहा था कि अमेरिका गाजा में एक नया विकसित शहर बनाएगा, जिसमें लग्जरी घर और रिसॉर्ट होंगे। उनके मुताबिक, गाजा के पुनर्निर्माण की बजाय फिलिस्तीनियों को किसी अन्य स्थान पर बसाना बेहतर विकल्प होगा। इजराइल ने ट्रम्प की इस योजना का समर्थन किया है। इजराइली रक्षा मंत्री योआव गैलेंट ने सेना को इस योजना के लिए संभावित तैयारियां करने के निर्देश भी दिए हैं।

 

इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे "ऐतिहासिक परिवर्तन" बताया है।  गाजा पर शासन कर रहे हमास ने इस प्रस्ताव को सख्ती से खारिज कर दिया है। हमास ने कहा, "हमारे लोग 15 महीने से गाजा में संघर्ष कर रहे हैं, अपनी जमीन छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता। हम किसी भी पुनर्वास योजना को स्वीकार नहीं करेंगे।" गाजा में 15 महीने से जारी इजराइल-हमास युद्ध के चलते करीब 23 लाख लोग विस्थापित हो चुके हैं और लगभग 60% इमारतें नष्ट हो गई हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, इन इमारतों को फिर से बनाने में कई दशक लग सकते हैं।

 

संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक, वर्तमान में जॉर्डन में 20 लाख से अधिक फिलिस्तीनी शरणार्थी रह रहे हैं, जिनमें से कई को नागरिकता भी मिल चुकी है। वहीं, युद्ध शुरू होने के बाद हजारों फिलिस्तीनी मिस्र भाग चुके हैं, लेकिन मिस्र सरकार उन्हें शरणार्थी का दर्जा देने से इनकार कर चुकी है।  पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में तत्कालीन विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने फिलिस्तीनियों को जबरन विस्थापित करने के किसी भी प्रयास का विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि गाजा छोड़ने के लिए फिलिस्तीनियों पर दबाव नहीं डाला जाना चाहिए।अब देखना यह होगा कि जॉर्डन के इस इनकार के बाद ट्रम्प और इजराइल की योजना किस दिशा में आगे बढ़ती है।


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Content Writer

Tanuja

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