14वीं CEO बैठक में बोले जयशंकर, डिजिटल युग करता है विश्वास और पारदर्शिता की मांग

punjabkesari.in Wednesday, Feb 12, 2025 - 06:07 AM (IST)

पेरिसः विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को यहां एआई एक्शन शिखर सम्मेलन के इतर 14वें भारत-फ्रांस सीईओ फोरम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि डिजिटल युग में विश्वास और पारदर्शिता की जरूरत है। 

शिखर सम्मेलन के बारे में बात करते हुए जयशंकर ने कहा, "डिजिटल युग में विश्वास और पारदर्शिता की जरूरत है।" इस सम्मेलन के पूर्ण सत्र की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने की। विदेश मंत्री ने कहा, “शिखर सम्मेलन अपने आप में एक अनुस्मारक है कि हम एआई (कृत्रिम मेधा), सॉफ्टवेयर विकास और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में कितना कुछ कर सकते हैं। 2026 को भारत-फ्रांस नवाचार का वर्ष घोषित किया गया है।" 

जयशंकर ने अपने संबोधन की शुरुआत यह कहते हुए की कि भारत और फ्रांस स्वतंत्र मानसिकता की परंपरा वाले दो देश हैं। उन्होंने कहा कि इसे अलग-अलग समय पर रणनीतिक स्वायत्तता के रूप में या बहुध्रुवीय दुनिया के रूप में व्यक्त किया गया है तथा “ऐसा नहीं है कि हम सिर्फ एक जैसा सोचते हैं। हम एक-दूसरे की स्थिति को मजबूत करने और अपने सहयोग को समकालीन विश्व मामलों का एक महत्वपूर्ण तत्व बनाने के लिए भी सक्रिय रूप से प्रयास करते हैं।” 

विदेश मंत्री ने कहा, "चूंकि, हमारे संबंध विश्वास-आधारित और मूल्य-आधारित हैं, इसलिए उनमें बहुत उच्च स्तर की सहजता विकसित हुई है। यह हमें सहयोग के लिए कई क्षेत्रों पर विचार करने की अनुमति देता है, जिसमें कुछ संवेदनशील क्षेत्र भी शामिल हैं।" मंत्री ने कहा कि रणनीतिक साझेदारी की गुणवत्ता और रणनीतिक शब्द का आज पहले की तुलना में अधिक महत्व है।

उन्होंने कहा, “हमारी साझेदारी की गुणवत्ता ही हमारे एजेंडे की महत्वाकांक्षी प्रकृति को प्रोत्साहित करती है। हम एक-दूसरे के साथ जितना अधिक काम करेंगे, हम अपनी स्थिति उतनी ही मजबूत करेंगे। और उतना ही महत्वपूर्ण, अस्थिर और अनिश्चित समय में वैश्विक अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में मदद करना है।” 

'मेक इन इंडिया' पहल का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा, "हम क्रेता-विक्रेता चरण से आगे बढ़कर अधिक गहन सहयोग की ओर बढ़ रहे हैं।” उन्होंने कहा, “मेक इन इंडिया पहल ने इस संबंध में कई नयी संभावनाएं खोली हैं। समान रूप से, हमें इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में वैश्विक विमर्श को आकार देने की आवश्यकता है। केवल एक बहुध्रुवीय विश्व ही यह सुनिश्चित कर सकता है कि एआई को कम से कम पूर्वाग्रह के साथ विकसित किया जाए।” भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) का उल्लेख करते हुए जयशंकर ने कहा कि यह एक बड़ा परिवर्तनकारी कदम हो सकता है। 
 


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Content Writer

Pardeep

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