ईरान में होगी हिजाब कानून की समीक्षा, सरकार ने प्रदर्शनकारियों के आगे टेके घुटने

Monday, Dec 05, 2022 - 01:23 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: ईरान सरकार ने हिजाब कानून के खिलाफ सड़कों पर उतरी जनता के गुस्से के सामने आखिरकार घुटने टेक ही दिए। ईरान के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद जफर मोंटेज़ेरी ने कहा है कि कि संसद और न्यायपालिका दोनों इस मुद्दे पर काम कर रहे हैं कि क्या कानून में किसी बदलाव की जरूरत है। रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने यह यह साफ नहीं किया कि कानून में क्या संशोधित किया जा सकता है। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि समीक्षा दल ने संसद के सांस्कृतिक आयोग से मुलाकात की है और एक या दो सप्ताह में इसके परिणाम सामने आएंगे। राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने कहा है कि ईरान की गणतंत्रात्मक और इस्लामी नींव संवैधानिक रूप से मजबूत है, लेकिन संविधान को लागू करने के तरीके लचीले हो सकते हैं।

कुर्द मूल की 22 वर्षीय ईरानी महसा अमिनी की हिरासत में मौत के बाद 16 सितंबर से ईरान में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जिन्हें कथित रूप से शरिया-आधारित हिजाब कानून का उल्लंघन करने के आरोप में मोरालिटी पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था। इस्लामिक क्रांति के चार साल बाद अप्रैल 1983 में ईरान में सभी महिलाओं के लिए हिजाब हेडस्कार्फ अनिवार्य हो गया था, जिसने अमरीका समर्थित राजशाही को उखाड़ फेंका था। यह एक ऐसे देश में एक अत्यधिक संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है जहां रूढ़िवादी जोर देते हैं कि यह अनिवार्य होना चाहिए, जबकि सुधारवादी इसे व्यक्तिगत पसंद पर छोड़ना चाहते हैं।

इस हफ्ते ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के एक जनरल ने पहली बार कहा कि महसा अमिनी की मौत के बाद से अशांति में 300 से अधिक लोगों की जान चली गई है। ईरान के शीर्ष सुरक्षा निकाय सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने कहा कि विरोध प्रदर्शनों के दौरान मारे गए लोगों की संख्या 200 से अधिक है। इस आंकड़े में सुरक्षा अधिकारी, नागरिक और अलगाववादियों के साथ-साथ दंगाई भी शामिल हैं। वहीं ओस्लो स्थित गैर-सरकारी संगठन ईरान ह्यूमन राइट्स ने दावा किया है कि कम से कम 448 लोग देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों में सुरक्षा बलों द्वारा मारे गए थे। संयुक्त राष्ट्र के अधिकार प्रमुख वोल्कर तुर्क ने पिछले हफ्ते कहा था कि विरोध प्रदर्शन में बच्चों सहित 14,000 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। 

Anil dev

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