पाकिस्तान में महंगाई की मार! कराची में स्थानीय लोगों बोले- बढ़ती कीमतों ने गुजारा करना लगभग असंभव बना दिया
punjabkesari.in Tuesday, Jul 16, 2024 - 05:26 PM (IST)
इंटरनेशलन न्यूज: पाकिस्तानी निवासी आसमान छूती महंगाई और भारी करों से जूझ रहे हैं, जिससे उनके दैनिक जीवन पर भारी वित्तीय दबाव पड़ रहा है। भोजन, बिजली और गैस जैसी आवश्यक वस्तुएं अत्यधिक महंगी हो गई हैं, जिससे आम वेतनभोगी व्यक्ति वित्तीय अस्थिरता के कगार पर पहुंच गए हैं।
बढ़ती जरूरतों और कीमतों के बीच फंसे कराची निवासी आरिफ ने दुख जताते हुए कहा, "बढ़ती कीमतों ने गुजारा करना लगभग असंभव बना दिया है। बिजली, पानी और भोजन जैसी बुनियादी जरूरतें अब औसत कर्मचारी की पहुंच से बाहर हो गई हैं। इन जरूरी चीजों तक विश्वसनीय पहुंच और समय पर वेतन के बिना, मजदूर वर्ग को बहुत तकलीफ हो रही है। इस भयावह स्थिति के लिए सरकारी संस्थानों की अक्षमता को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।" इन चुनौतियों को और भी जटिल बना देता है सरकार द्वारा लगाया गया भारी कर बोझ। कई तरह की वस्तुओं और सेवाओं पर बढ़े हुए करों ने आम नागरिकों के बजट को और भी अधिक बढ़ा दिया है। कई लोग इन आर्थिक दबावों को प्रबंधित करने में सरकार की अक्षमता की आलोचना करते हैं। अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के उद्देश्य से बनाई गई नीतियों के बावजूद, अपेक्षित राहत नहीं मिल पाई है, जिससे जनता को इन कमियों का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
एक अन्य निवासी अली ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा, "कोई भी ऐसी वस्तु नहीं है जिस पर कर न लगाया गया हो। चाहे वह दाल हो, चावल हो, आटा हो या फिर रोज़मर्रा की प्रसाधन सामग्री हो, साबुन, शैम्पू या डिटर्जेंट जैसी वस्तुओं पर हमें 3-5 रुपये अतिरिक्त देने पड़ते हैं। करों के कारण हमारे बिजली और गैस बिल भी बढ़ जाते हैं। हर चीज़ पर कर लगाया जाता है, फिर भी कोई राहत नहीं मिलती। यह मौजूदा सरकार की अप्रभावीता को दर्शाता है, जो समाधान का वादा तो करती है, लेकिन कुछ नहीं करती।"
पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो के अनुसार, जून 2024 में पाकिस्तान की मुद्रास्फीति दर मई 2024 के 11.8 प्रतिशत से बढ़कर 12.6 प्रतिशत हो गई, जो पिछले पाँच महीनों में देखी गई गिरावट की प्रवृत्ति को उलट देती है। यह वृद्धि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा अपने वित्तीय सहायता कार्यक्रम के हिस्से के रूप में लगाई गई शर्तों के साथ मेल खाती है। इन शर्तों के तहत पाकिस्तान को सरकारी खर्च में कटौती करनी होगी, सब्सिडी हटानी होगी, करों में वृद्धि करनी होगी और मुद्रा का अवमूल्यन करना होगा। यद्यपि इन उपायों का उद्देश्य अर्थव्यवस्था को स्थिर करना, ऋण को कम करना तथा दीर्घकालिक विकास को बढ़ावा देना है, किन्तु इनके परिणामस्वरूप मुद्रास्फीति दर में वृद्धि जैसी तात्कालिक चुनौतियां उत्पन्न हो गई हैं।