भयावह धुंध से जूझ रहा पाकिस्तान, मुल्तान बना दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर, स्कूलों में 17 नवंबर तक छुट्टी का ऐलान

punjabkesari.in Wednesday, Nov 13, 2024 - 12:32 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः गंभीर प्रदूषण से जूझ रही पाकिस्तानी पंजाब की राजधानी लाहौर की जहरीली धुंध अब अंतरिक्ष से भी दिखाई देने लगी है। जियो न्यूज के अनुसार, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा उपग्रह से ली गई तस्वीरों में यह स्थिति दिखाई दी है। पाकिस्तान में मुल्तान और इस्लामाबाद जैसे कई शहरों में धुंध छाई है। मुल्तान देश का सबसे प्रदूषित शहर बन गया जिससे प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए प्रयासरत अधिकारी भी असमंजस में पड़ गए। 
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समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार पाकिस्तान के लाहौर और मुल्तान क्षेत्र में वायु गुणवत्ता सूचकांक क्रमशः 760 और 1,914 तक पहुंचने के बाद धुंध छा गई। मुल्तान दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है, जिसके कारण अधिकारी प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने के तरीके खोजने की कोशिश कर रहे हैं। डॉन के अनुसार शुक्रवार की सुबह मुल्तान का AQI वायु गुणवत्ता सूचकांक पर 2000 अंक को पार कर गया। 
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अधिकारियों ने अब तक धुंध को नियंत्रित करने के लिए कोई उपाय नहीं किया था और नागरिक कथित तौर पर अपने मास्क पहनने में भी विफल रहे। लाहौर में भारी धुंध के कारण लगातार दूसरे दिन सड़कों पर यातायात के लिए कई जगहें अवरुद्ध हो गईं। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, जीटी रोड, मुरीद के पर कलाशाह काको के पास एक सड़क दुर्घटना में कम से कम 9 लोग घायल हो गए, जब कम दृश्यता के कारण एक वैन ट्रक से टकरा गई।  लाहौर उच्च न्यायालय के निर्देशों के आधार पर आज सभी बाजार और व्यापारिक गतिविधियां बंद रहेंगी। सप्ताह के अन्य दिनों में, बाजारों को रात 8 बजे तक बंद करने का निर्देश दिया गया है। 
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पाकिस्तान के पंजाब में स्थिति और भी खराब है जहां सरकार प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए उपाय लागू कर रही है और हाई अलर्ट जारी कर रही है। राज्य ने 17 नवंबर तक पार्क और संग्रहालय बंद कर दिए हैं। पंजाब शिक्षा विभाग ने प्रभावित जिलों में ट्यूशन सेंटर और अकादमियों के साथ-साथ उच्चतर माध्यमिक स्तर तक के निजी और सरकारी स्कूलों को भी 17 नवंबर तक बंद करने का आदेश दिया है। 

IQAir के अनुसार, हवा में मौजूद सूक्ष्म कण PM2.5 की सांद्रता, जो स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती है, 947 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर थी, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों से 189.4 गुना अधिक है। वैश्विक स्वास्थ्य निकाय पांच माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक को खतरनाक मानता है।
 


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Content Writer

Pardeep

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