अफगानिस्तान की स्थिति पर भारत की पैनी नजर, तालिबान से हुई उच्चस्तरीय बातचीत
punjabkesari.in Tuesday, Mar 11, 2025 - 01:46 PM (IST)

International Desk: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की बैठक में भारत ने कहा कि वह अफगानिस्तान की स्थिति पर करीब से नजर बनाए हुए है और तालिबान शासन के साथ द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने सोमवार को अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (UNAMA) पर आयोजित बैठक में यह जानकारी दी। हरीश ने बताया कि इस वर्ष की शुरुआत में विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने दुबई में अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात की थी। इस बैठक में द्विपक्षीय संबंधों और क्षेत्रीय विकास से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई। अफगान पक्ष ने भारतीय नेतृत्व द्वारा अफगानिस्तान के लोगों के साथ जुड़ने और उन्हें समर्थन देने की सराहना की।
हरीश ने जोर देकर कहा कि भारत और अफगानिस्तान के बीच संबंध सदियों पुराने हैं। उन्होंने कहा, *"भारत, अफगानिस्तान में जारी मानवीय सहायता कार्यक्रमों के अलावा निकट भविष्य में विकास परियोजनाओं में शामिल होने पर भी विचार करेगा।"* जनवरी में हुई मिस्री-मुत्ताकी बैठक, 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद भारत और तालिबान के बीच अब तक की सबसे उच्चस्तरीय वार्ता थी। भारतीय दूत ने कहा कि भारत, अफगानिस्तान में स्थिरता और शांति बनाए रखने के लिए क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में सक्रिय रूप से भाग ले रहा है। उन्होंने कहा कि भारत का मुख्य उद्देश्य अफगानिस्तान के लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करना और तालिबान शासन एवं अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बीच संवाद को बढ़ावा देना है।
भारत 2001 से अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण के लिए प्रतिबद्ध रहा है। अब तक भारत ने 27 टन राहत सामग्री, 50,000 टन गेहूं, 40,000 लीटर कीटनाशक 300 टन से अधिक दवाइयां और चिकित्सा उपकरण उपलब्ध कराए हैं। भारत की विकास साझेदारी के तहत अफगानिस्तान के सभी प्रांतों में 500 से अधिक परियोजनाएं चलाई गई हैं। भारत संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, शिक्षा, खेल और कौशल विकास के क्षेत्रों में सहायता प्रदान कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष प्रतिनिधि रोजा ओटुनबायेवा ने सुरक्षा परिषद को बताया कि तालिबान शासन को यह तय करना होगा कि वे अफगानिस्तान को अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में फिर से शामिल कराना चाहते हैं या नहीं।
उन्होंने कहा कि अगर तालिबान ऐसा चाहता है, तो उसे इसके लिए आवश्यक कदम उठाने होंगे। जनवरी में मिस्री-मुत्ताकी वार्ता के बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा था कि दोनों पक्षों ने भारतीय मानवीय सहायता कार्यक्रमों की समीक्षा की। अफगानिस्तान के विदेश मंत्री ने भारत के सहयोग की सराहना की और आभार प्रकट किया। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अफगानिस्तान में शांति, स्थिरता और विकास सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्रीय और वैश्विक मंचों पर अपनी भूमिका निभाता रहेगा।