नहीं रहे ''गोल्डन आर्म'' जेम्स हैरिसन, 1,173 बार रक्तदान कर बचा गए 24 लाख नवजातों की जान

punjabkesari.in Tuesday, Mar 04, 2025 - 11:48 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क. इंसान की एक बांह से लाखों बच्चों की जिंदगी बचाई जा सकती है! यही काम जेम्स हैरिसन ने किया था, जिनके रक्त में मौजूद दुर्लभ एंटीबॉडी ने लाखों नवजातों की जान बचाई। हैरिसन का हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में 88 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने छह दशकों तक रक्तदान किया और 1,173 बार रक्तदान करके 24 लाख से अधिक नवजातों की जान बचाई। उनके खून में एंटी-डी नामक दुर्लभ एंटीबॉडी होती थी, जो नवजातों को "हैमोलेटिक डिजीज ऑफ द फेटस एंड न्यूबॉर्न" (एचडीएफएन) से बचाती थी।

PunjabKesari

कैसे हुई थी शुरुआत

जेम्स हैरिसन की रक्तदान की यात्रा 14 साल की उम्र में एक सर्जरी के दौरान शुरू हुई थी, जब उन्हें रक्त चढ़ाया गया था। इसके बाद 18 साल की उम्र में उन्होंने पहली बार रक्तदान किया और इसके बाद 81 साल की उम्र तक हर दो हफ्ते में रक्तदान करते रहे। उनका यह योगदान न सिर्फ अद्वितीय था, बल्कि उनके रक्त में मौजूद एंटी-डी एंटीबॉडी ने लाखों नवजातों की जान बचाने में अहम भूमिका निभाई।

PunjabKesari

अब रक्त से लैब में एंटीबॉडी बनाने की कोशिश

1960 के दशक से पहले एंटी-डी उपचार नहीं था, तो एचडीएफएन से ग्रस्त अधिकतर नवजात नहीं बच पाते थे। लेकिन अब वैज्ञानिक जेम्स हैरिसन के रक्त से लैब में एंटी-डी एंटीबॉडी बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इसका उद्देश्य यह है कि एंटी-डी एंटीबॉडी का इस्तेमाल करके पूरी दुनिया की गर्भवती महिलाओं के लिए स्थायी और सुलभ इलाज तैयार किया जा सके।

PunjabKesari

एचडीएफएन क्या है?

हेमोलाइटिक डिजीज ऑफ द फेटस एंड न्यूबॉर्न (एचडीएफएन) एक ऐसी स्थिति होती है, जब गर्भावस्था के दौरान मां की लाल रक्त कोशिकाएं शिशु की रक्त कोशिकाओं से मेल नहीं खातीं। इस स्थिति में मां की रोग प्रतिरोधक प्रणाली शिशु की रक्त कोशिकाओं को खतरे के रूप में पहचानकर उनके खिलाफ एंटीबॉडी बनाना शुरू कर देती है। इससे नवजात को गंभीर एनीमिया, हृदय विफलता या मौत का खतरा हो सकता है। एंटी-डी इंजेक्शन गर्भवती महिलाओं को यह जानलेवा रक्त विकार होने से बचाता है और शिशु को सुरक्षित रखता है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Parminder Kaur

Related News