'भारत किसी भी अन्य देश से अधिक हकदार', UNSC में भारत की स्थाई सदस्यता को लेकर बोला जर्मनी
punjabkesari.in Tuesday, Oct 22, 2024 - 08:37 PM (IST)
नई दिल्लीः भारत और भूटान में जर्मनी के राजदूत डॉ. फिलिप एकरमैन ने सोमवार को एनडीटीवी वर्ल्ड समिट में कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट पाने के लिए भारत किसी भी अन्य देश से अधिक हकदार है। डॉ. एकरमैन ने इस बात पर जोर दिया कि भारत समीकरणों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और उसे वैश्विक स्तर पर मुख्य अभिनेताओं में से एक बनना चाहिए। उन्होंने कहा, "भारत के बिना जी-20 घोषणापत्र संभव नहीं होता। रूस और पश्चिम के बावजूद, भारत ने संतोषजनक परिणाम हासिल किया, जो दर्शाता है कि उसका कितना महत्व है।" 'भू-राजनीतिक व्यवधान: उभरती हुई शक्तियां बनाम मौजूदा शक्तियां' शीर्षक वाले सत्र में, संयुक्त राष्ट्र में पूर्व स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने पश्चिम एशिया का मामला भी उठाया, जहां गैर-राज्य अभिनेता राज्य अभिनेताओं को चुनौती दे
रहे हैं।
इजरायल-हमास-हिजबुल्लाह संघर्ष का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा कि बदलती हुई दोष रेखाओं के जबरदस्त नतीजे होने वाले हैं। द एशिया ग्रुप के पार्टनर अशोक मलिक ने कहा कि भारत के आर्थिक और राजनीतिक हितों, दुनिया भर में प्रवासियों और ऊर्जा की कीमतों जैसे कारकों को देखते हुए, पश्चिम एशिया भी नई दिल्ली की समस्या बन गया है। इस पर अकबरुद्दीन ने कहा, "चुनौती वैश्विक व्यवस्था को फिर से स्थापित करने की होगी। चुनौतियां सिर्फ राज्य से ही नहीं आएंगी, बल्कि जलवायु, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अंतरिक्ष से भी आएंगी। इनका समाधान केवल साझेदारी के माध्यम से ही निकलेगा।"
यह पूछे जाने पर कि क्या पुराने वैश्विक शक्ति समीकरणों के बदलने की जरूरत है, एकरमन ने 'हां' में जवाब दिया। उन्होंने कहा, "यूरोप और जर्मनी खासतौर पर मानते हैं कि भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर आगे आने होगा। भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुख्य शक्तियों में शुमार होना होगा और यह अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में भी प्रतिबिंबित होना चाहिए।" एकरमैन ने कहा कि जर्मनी, ब्राजील, भारत और जापान तथाकथित जी-4 है और "हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षित परिषद की स्थाई सदस्यता हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।" उन्होंने कहा, "भारत वहां स्थाई सीट का किसी अन्य देश से ज्यादा हकदार है। और, हम यह भी आशा करते हैं कि इन अंतरराष्ट्रीय प्रारूपों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और संस्थानों में सुधार होने जा रहा है।"
वहीं, नोबरेगा ने कहा, "ग्लोबल साउथ के नेतृत्व को लेकर प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण पर ब्राजील ग्लोबल साउथ और पश्चिम के बीच पुल बनाने में भारत का पारंपरिक भागीदार बनने के लिए हमेशा तैयार है।" उन्होंने कहा, "भारत में यह नेतृत्व संभालने की सभी योग्यताएं हैं। यह वास्तविकता से गहराई से जुड़ा हुआ एक दृष्टिकोण है, इसमें आर्थिक शर्तें, तकनीकी शर्तें, सभ्यतागत शर्तें मौजूद हैं...।"