60 साल में पहली बारः फ्रांस सरकार 3 माह में धड़ाम; PM बार्नियर का इस्तीफा, राष्ट्रपति मैक्रों की कुर्सी भी खतरे में

punjabkesari.in Thursday, Dec 05, 2024 - 11:17 AM (IST)

International Desk: फ्रांस में ऐतिहासिक राजनीतिक उथल-पुथल हुई है। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की सरकार विश्वास मत हारने के बाद गिर गई, जिससे राजनीतिक संकट गहरा गया है। यह घटना 60 साल में पहली बार हुई है, जब फ्रांस की सरकार को इस तरह का बड़ा झटका लगा है।  फ्रांस में बुधवार को संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली में हुए ऐतिहासिक अविश्वास प्रस्ताव के परिणामस्वरूप प्रधानमंत्री माइकल बार्नियर और उनके मंत्रिमंडल को इस्तीफा देना पड़ा। इस प्रस्ताव को दक्षिणपंथी और वामपंथी दलों ने एक साथ मिलकर पारित किया, जिससे फ्रांस की राजनीति में अस्थिरता और बढ़ गई है।  

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कैसे पास हुआ अविश्वास प्रस्ताव?   
नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव को 331 मतों से मंजूरी मिली जबकि इसे पारित करने के लिए 288 मतों की आवश्यकता थी।   यह न केवल सरकार की नीतियों के खिलाफ बल्कि बजट विवाद पर प्रधानमंत्री की विफलता को लेकर असंतोष का प्रतीक था।  सितंबर में प्रधानमंत्री पद ग्रहण करने वाले माइकल बार्नियर का कार्यकाल फ्रांस के आधुनिक इतिहास में सबसे कम समय तक चला।    उन्होंने संसद में मतदान से पहले अपने आखिरी संबोधन में कहा कि  फ्रांस और फ्रांसीसी लोगों की गरिमा के साथ सेवा करना मेरे लिए सम्मान की बात रही है। बार्नियर ने यह भी चेतावनी दी कि यह अविश्वास प्रस्ताव देश को और गंभीर संकट की ओर धकेल सकता है।  
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मैक्रों की कुर्सी भी खतरे में
प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की कुर्सी भी खतरे में नजर आ रही है।उनको अब एक नया प्रधानमंत्री नियुक्त करना होगा।  नया प्रधानमंत्री नियुक्त करना और सरकार को स्थिर करना मैक्रों के लिए कठिन चुनौती होगी।   बार्नियर औपचारिक रूप से जल्द ही अपना इस्तीफा देंगे।  हालांकि राष्ट्रपति मैक्रों ने कहा कि वह 2027 तक अपना शेष कार्यकाल पूरा करेंगे भले ही राजनीतिक अस्थिरता और बढ़ रही हो।    मैक्रों के कार्यालय ने घोषणा की है कि वह गुरुवार शाम को देशवासियों को संबोधित करेंगे। उन्होंने अपने संबोधन का विषय स्पष्ट नहीं किया है।  
 

जुलाई के संसदीय चुनावों के बाद की स्थिति 
जुलाई में हुए चुनावों के बाद, मैक्रों की पार्टी को बहुमत हासिल नहीं हुआ था। इससे उनकी सरकार के लिए समर्थन जुटाना मुश्किल हो गया।  यह दूसरी बार है जब मैक्रों को अपने कार्यकाल के दौरान एक नया प्रधानमंत्री नियुक्त करना पड़ेगा।    आर्थिक नीति और सरकारी खर्चों को लेकर विपक्षी दलों में भारी असंतोष था। दोनों चारधाराओं के सांसदों ने पहली बार मिलकर अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान किया। विपक्ष के बढ़ते प्रभाव के कारण मैक्रों की नीतियों को लागू करना कठिन हो सकता है।


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Content Writer

Tanuja

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