यूरोपीय संसद का चीन पर तीखा हमला: नहीं चलेगी मानमानी, स्वीडिश प्रकाशक बिना शर्त तुरंत रिहा करो
punjabkesari.in Tuesday, Oct 14, 2025 - 04:25 PM (IST)
International Desk: यूरोपीय संसद (European Parliament) ने चीन के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए स्वीडिश प्रकाशक गुई मिनहाई (Gui Minhai) की तुरंत और बिना शर्त रिहाई की मांग की है। गुई को थाईलैंड से अपहरण किए जाने के 10 साल बाद भी चीन की जेल में बंद रखा गया है। गुई मिनहाई, हांगकांग की कॉजवे बे बुक्स (Causeway Bay Books) के सह-मालिक थे। उन्हें 2015 में थाईलैंड के पटाया स्थित अपार्टमेंट से अगवा किया गया था। कुछ महीनों बाद वे चीनी राज्य टीवी पर दिखाई दिए, जहाँ उन्हें ‘ड्रंक-ड्राइविंग से मौत’ के मामले में झूठा कबूलनामा करते दिखाया गया। इसके बाद उन्हें जासूसी (espionage) के आरोप में 10 साल की सजा सुनाई गई।
हांगकांग फ्री प्रेस (HKFP) के अनुसार, यूरोपीय संसद ने हाल ही में पारित अपने प्रस्ताव में कहा कि चीन को “गुई मिनहाई और अन्य सभी ऐसे लोगों को जो अपनी बुनियादी स्वतंत्रता का शांतिपूर्ण इस्तेमाल कर रहे हैं, तुरंत और बिना शर्त रिहा करना चाहिए।” प्रस्ताव में चीन की मनमानी हिरासत और जबरन टीवी पर कराए गए कबूलनामों की प्रथा को भी बंद करने की मांग की गई, जिसे लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय लंबे समय से आलोचना करता रहा है। सांसदों ने चीन द्वारा **वकीलों, पत्रकारों, कलाकारों और अल्पसंख्यकों पर दमन को लेकर गहरी चिंता जताई।
गुई का अपहरण उन कई क्रॉस-बॉर्डर गुमशुदगियों की शुरुआत थी, जिनमें चीन-विरोधी लेखकों और प्रकाशकों को निशाना बनाया गया। उनके साथ जुड़े चार अन्य लोग भी इसी तरह गायब हुए थे, पर आज भी गुई मिनहाई ही एकमात्र व्यक्ति हैं जो कैद में हैं। रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स (RSF) ने कहा कि गुई को चीनी एजेंटों ने अगवा किया था और वे उन सौ से अधिक पत्रकारों में से एक हैं जो वर्तमान में चीन की जेलों में बंद हैं।
गुई की बेटी एंजेला मिनहाई ने पिछले हफ्ते एक भावनात्मक अपील की “एक दशक बीत गया है, हमें आज तक नहीं पता कि मेरे पिता कहाँ हैं, किस हालत में हैं या उनका मुकदमा कैसे चला। हम बस यही उम्मीद करते हैं कि वे अभी भी जीवित हैं। स्वीडन और यूरोपीय संघ को उनकी रिहाई के लिए अपने प्रयास तेज़ करने चाहिए।”गुई को अब तक परिवार से संपर्क या कौंसुलर पहुँच (consular access) की अनुमति नहीं मिली है। वहीं चीन का कहना है कि गुई कोई “राजनीतिक कैदी” नहीं बल्कि “दोषी अपराधी” हैं। मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि यह मामला चीन की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय दमन नीति और अभिव्यक्ति की आज़ादी के प्रति उसकी शत्रुता** का प्रतीक बन गया है।
