राष्ट्रपति शी का धार्मिक मामलों पर शिकंजा कसने का ऐलान, 20 करोड़ लोगों का धर्म छीनेगा चीन

punjabkesari.in Tuesday, Dec 07, 2021 - 11:03 AM (IST)

बीजिंग: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (68) ने देश में धार्मिक मामलों पर राज्य के नियंत्रण को कड़ा करने के लिए अतिरिक्त उपायों का आह्वान किया है, जिनमें आस्थाओं को चीनी स्वरूप प्रदान (सिनिसाइजेशन) करना भी शामिल है। मोटे तौर पर इसका अर्थ है उन्हें सत्तारूढ़ चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की नीतियों के अनुरूप ढालना। माना जा रहा है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और शक्तिशाली सेना के प्रमुख और राष्ट्रपति का पद रखने वाले शी सत्ता आजीवन अपने पास रखेंगे।

 

20 करोड़ से अधिक लोगों के धर्म का होगा चीनीकरण
शी उन धर्मों के “सिनिसाइजेशन का आह्वान करते रहे हैं, जो उन्हें वैचारिक रूप से नास्तिक सीपीसी के मार्गदर्शन में कार्य करने के लिए फिर से उन्मुख करते हैं।  2019 में चीन में एक आधिकारिक श्वेत पत्र जारी हुआ था, जिसके मुताबिक वहां 20 करोड़ से ज्यादा विभिन्न धर्मों से जुड़ी आस्तिक आबादी रहती है। इनमें से बहुसंख्यक बौद्ध हैं, जो तिब्बत के मूल निवासी हैं और इसपर चीन ने अधिकार हासिल किया हुआ है। इनके अलावा वहां 2 करोड़ मुसलमान, 3.8 करोड़ प्रोटेस्टेंट क्रिश्चियन और 60 लाख कैथोलिक ईसाई रहते हैं। चीन में विभिन्न धर्मों के 1,40,000 पूजा स्थल या प्रार्थना स्थल भी हैं। जिनपिंग का मंसूबा है कि एक ही झटके में यह सबकुछ कम्युनिस्ट पार्टी के कैडर्स के कंट्रोल में आ जाए।

 


“धर्म के सिनिसाइजेशन” को बढ़ावा देगा चीन
शी ने यहां सप्ताहांत के दौरान धार्मिक मामलों से संबंधित कार्य के राष्ट्रीय सम्मेलन में कहा, “धार्मिक नेताओं की लोकतांत्रिक निगरानी में सुधार करना और धार्मिक कार्यों में कानून के शासन पर जोर देना और कानून के शासन के बारे में गहन प्रचार और शिक्षा आवश्यक है।” विशेषज्ञों के अनुसार, 2016 के बाद हो रहे पहली बार हो यह सम्मेलन हो रहा है। इसमें अगले कुछ वर्षों के लिए चीन के धार्मिक मामलों और उनके विनियमन पर मानकों को निर्धारित किया गया। सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक अपने संबोधन में शी ने कहा कि चीन ऑनलाइन धार्मिक मामलों के नियंत्रण को मजबूत करने के लक्ष्य के साथ “धर्म के सिनिसाइजेशन” को बढ़ावा देगा। उन्होंने कहा कि चीनी संदर्भ में धर्मों के विकास के सिद्धांत को बुलुद करना जरूरी है।

 

धार्मिक आस्था की स्वतंत्रता खतरे में
उन्होंने कहा कि धार्मिक आस्था की स्वतंत्रता पर पार्टी की नीति को पूरी तरह और ईमानदारी से लागू किया जाना चाहिए और धार्मिक समूहों को एक पुल और एक बंधन के रूप में खड़ा होना चाहिए जो पार्टी और सरकार को धार्मिक हलकों और व्यापक धार्मिक अनुयायियों के साथ जोड़ता है। हांगकांग स्थित ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ की खबर के अनुसार, बैठक चीन में मुसलमानों और ईसाइयों पर दमनकारी नियंत्रण के व्यापक आरोपों के साथ-साथ धर्मों पर देश की बढ़ती कड़ी निगरानी की पृष्ठभूमि में हुई। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार चीन मेंम धार्मिक आस्था की स्वतंत्रता खतरे में है और लोगों का जबरन चीनीकरण करने की कवायद तेज हो रही है।


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Content Writer

Tanuja

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