चीन का नया तलाक कानून लैंगिक समानता के लिए बना खतरा

punjabkesari.in Monday, May 03, 2021 - 09:41 PM (IST)

बीजिंग: चीन का नया तलाक कानून लैंगिक समानता के लिए खतरा बनता जा रहा। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार नया कानून जो जबरदस्त सार्वजनिक प्रतिरोध के  बाद लागू  हुआ है, में कहा गया है कि अगर एक पति-पत्नी इस अवधि के दौरान तलाक के आवेदन को वापस लेने का फैसला करते हैं या अंतिम अनुमोदन के लिए नहीं जाते हैं, तो दूसरी पार्टी को फिर से आवेदन करना होगा या तलाक के लिए मुकदमा करना होगा, जो महंगा हो सकता है।

 

इस कानून के तहत यदि उनके पति उनके आवेदन को वापस ले लेते हैं या सहयोग करने से इंकार करते हैं तो इन महिलाओं को  तलाक के लिए मुकदमा करने के लिए एक वकील को नियुक्त करना होगा । अधिकांश महिलाएं जो गृहिणी हैं कूलिंग-ऑफ अवधि के दौरान वित्तीय रूप से खुद का समर्थन नहीं कर सकती हैं की इस कानून के चलते स्थिति और बदतर हो जाएगी। बढ़ती तलाक दर से निराश सरकारी अधिकारियों के अनुसार कानून में जन्म दर में सुधार के तरीके के रूप में आवेगपूर्ण तलाक पर अंकुश लगाने का प्रयास किया गया है  जो कि वर्ष 2000 में 3.96 प्रति हजार से बढ़कर 2019 में 3.36 प्रति हजार हो गया है।

 

इस नए कानून के तहत कपल्स को तलाक लेने से पहले एक महीने का 'कूलिंग ऑफ पीरियड' पर साथ रहना होगा ताकि अगर थोड़ी भी संभावना हो तो कपल्स अपने बीच के तकरार को खत्म कर सकें। कूलिंग ऑफ पीरियड के बाद अगर बात बनती है तो ठीक नहीं तो वो फिर तलाक के लिए अप्लाई कर सकते हैं अपने-अपने रास्ते पर जा सकते हैं। देश के कानून में बदलाव चीनी कपल्स को भा नहीं रहा है, जिसका असर ये हो रहा है कि तलाक लेने की होड़ मची हुई है। बता दें जब नेशनल पीपुल्स कांग्रेस ने इस कानून को पास कराया था तब भी चीन में इसकी काफी आलोचना हुई थी।

 

 


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Content Writer

Tanuja

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