एक तीर से साधे 2 निशानेः जाते-जाते बाइडन ने यूक्रेन को दी नई ताकत, रूस और ट्रंप की बढ़ाई टेंशन

punjabkesari.in Tuesday, Nov 19, 2024 - 05:25 PM (IST)

International Desk: रूस-यूक्रेन युद्ध जमीन पर कब्जे को लेकर जारी है, और इस दौरान यूक्रेन ने रूस के कुर्स्क क्षेत्र के 1000 वर्ग किलोमीटर हिस्से पर कब्जा कर लिया है। अब, अमेरिका ने यूक्रेन को रूस के खिलाफ लॉन्ग रेंज हथियारों के इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। मगर सवाल यह है कि बाइडन प्रशासन ने यह फैसला अब क्यों लिया, जबकि पहले इस कदम को टाला गया था? विशेषज्ञों के अनुसार, बाइडन प्रशासन का यह कदम चुनावी रणनीति और रूस पर दबाव बनाने का एक तरीका हो सकता है। यह भी माना जा रहा है कि बाइडन चाहते हैं कि इस युद्ध का अंत उनकी अगुवाई में हो, ताकि डोनाल्ड ट्रंप को इस पर कोई राजनीतिक क्रेडिट न मिले।

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अमेरिका का उद्देश्य है कि कुर्स्क पर यूक्रेनी कब्जा बरकरार रहे, ताकि भविष्य में युद्ध समाप्ति के लिए बातचीत के समय यूक्रेन के पास नेगोशिएशन का कुछ आधार हो। अगर रूस कुर्स्क क्षेत्र को फिर से कब्जा कर लेता है, तो यह यूक्रेन के लिए एक रणनीतिक नुकसान हो सकता है। इस फैसले से अमेरिका रूस पर एक मानसिक दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। रूस ने इस कदम का कड़ा विरोध किया है और चेतावनी दी है कि यूक्रेन की तरफ से लॉन्ग रेंज हथियारों का इस्तेमाल परमाणु हमला करवा सकता है। रूस ने यह भी कहा कि नाटो की मदद के बिना यूक्रेन खुद से यह हमले नहीं कर सकता था।

 

अमेरिका ने अब तक युद्ध में अपने सैनिकों को सीधे तौर पर शामिल नहीं किया है, लेकिन उसने यूक्रेन को बहुत सारे हथियारों की आपूर्ति की है, जिनमें एफ-16 और आर्टिलरी गन शामिल हैं। अब लॉन्ग रेंज मिसाइलों के इस्तेमाल से यूक्रेन के पास रूस के अंदर तक हमला करने की क्षमता होगी, जिससे युद्ध का दायरा बढ़ सकता है।दूसरी ओर, डोनाल्ड ट्रंप इस युद्ध को लेकर सवाल उठा रहे हैं कि अमेरिका ने इतने सारे संसाधन यूक्रेन को क्यों दिए, जबकि उसे इससे कोई लाभ नहीं हुआ। इस मुद्दे पर बातचीत का रास्ता खुल सकता है, और आने वाले दिनों में युद्ध के लिए एक निपटारा हो सकता है।


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Content Writer

Tanuja

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