अफगानिस्तान में लड़कियों के बाल विवाह मामले बढ़े, खाने के लिए बिक रहीं मासूम बच्चियांः UNICEF
punjabkesari.in Saturday, Nov 13, 2021 - 04:30 PM (IST)
इंटरनेशनल डेस्कः अफगानिस्तान में मासूम लड़कियों की भयावह दशा को लेकर चौंकाने वाला खुलासा है। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की विश्वसनीय रिपोर्ट के अनुसार अफगानिस्तान में लड़कियों की कम आयु में ही शादी कर दिए जाने के मामले बढ़े हैं। कुछ मामलों में तो परिवार, दहेज की एवज में अपनी महीने भर की बेटियों का भविष्य में विवाह कराने का वादा करने के लिए मजबूर हो रहे हैं। यूएन एजेंसी की कार्यकारी निदेशक हैनरीएटाफ़ोर ने शुक्रवार को जारी अपने एक वक्तव्य में बाल विवाह के मामलों में वृद्धि पर गहरी चिन्ता जताई है।
UNICEF के अनुसार अफगानिस्तान में बेशक तालिबान के राज के राजनैतिक अस्थिरता बढ़ी है। मगर उससे पहले भी यूनीसेफ़ के साझीदार संगठनों ने बाल विवाह के 183 मामलों और हेरात व बग़दिस प्रान्तों में बच्चे बेचे जाने के 10 मामले दर्ज किए थे। ये मामले वर्ष 2018 से 2019 के हैं और पीड़ित बच्चों की उम्र छह महीने से लेकर 17 वर्ष थी। UNICEF का अनुमान है कि 15 से 49 वर्ष आयु की 28 प्रतिशत अफगान महिलाओं का विवाह 18 वर्ष की उम्र से पहले ही कर दिया गया। कोविड महामारी, खाद्य संकट और सर्दी की शुरुआत होने से मौजूदा हालात में परिवारों के लिये परिस्थितियाँ और भी कठिन हो गई हैं।
वर्ष 2020 में क़रीब आधी अफगान आबादी को निर्धनता के कारण, बुनियादी आवश्यकताएँ, जैसेकि पोषक आहार या स्वच्छ जल भी उपलब्ध नहीं था। बेहद कठिन आर्थिक परिस्थितियों की वजह से ज्यादा संख्या में परिवार निर्धनता के गर्त में धँस गए हैं और उन्हें हताशा में मुश्किल विकल्प चुनने पड़ रहे हैं। बच्चों को काम पर लगाना पड़ रहा है और कम उम्र में ही उनकी शादी की जा रही है। UN एजेंसी की शीर्ष अधिकारी ने कहा कि चूँकि अधिकतर किशोर लड़कियों को स्कूल वापिस जाने की अनुमति नहीं है, इसलिये बाल विवाह का जोखिम अब और भी अधिक है।
UNICEF अपने साझीदार संगठनों के साथ मिलकर लड़कियों की जल्द शादी कराए जाने में निहित जोखिमों के प्रति, सामुदायिक स्तर पर जागरूकता प्रसार में जुटा है। स्थानीय लोगों को बताया जा रहा है कि बाल विवाह के कारण, लड़कियों को सारी उम्र पीड़ा झेलनी पड़ती है। 18 वर्ष से पहले जिन लड़कियों की शादी करा दी जाती है उनके स्कूल में पढ़ाई करने की सम्भावना कम होती है। वहीं, घरेलू हिंसा, भेदभाव, दुर्व्यवहार और ख़राब मानसिक स्वास्थ्य का अनुभव करने की आशंका बढ़ जाती है। गर्भावस्था और बच्चों के जन्म के समय उनके लिए स्वास्थ्य जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है।
UN एजेंसी ने एक नकदी सहायता कार्यक्रम की शुरुआत की है जिसका उद्देश्य सर्वाधिक निर्बल समुदायों के लिए भुखमरी, बाल मज़दूरी और बाल विवाह के जोखिमों को कम करना है। UN एजेंसी की योजना इस कार्यक्रम का दायरा बढ़ाने और अन्य सामाजिक सेवाओं कार्यक्रमों को मज़बूती प्रदान करने की है। UNICEF टीम, स्थानीय धार्मिक नेताओं के साथ मिलकर भी प्रयास कर रही है, ताकि उन्हें छोटी उम्र में लड़कियों के निकाह में शामिल होने से रोका जा सके। लेकिन, यूएन एजेंसी प्रमुख ने कहा है कि यह पर्याप्त नहीं है, और केन्द्रीय, प्रान्तीय व स्थानीय प्रशासन को सर्वाधिक निर्बल परिवारों और लड़कियों के लिए समर्थन सुनिश्चित करना होगा।
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