पारिवारिक जिम्मेदारियां महिलाओं को वेलनेस को प्राथमिकता देने से रोकती हैं, रिपोर्ट में हुआ खुलासा

punjabkesari.in Thursday, May 15, 2025 - 12:25 PM (IST)

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। भारत का पहला हैबिट बिल्डिंग प्लेटफॉर्म  ने हाल ही में एक सर्वे किया, जिसमें भारतीय माताओं के बीच एक गहरे इमोशनल अंडरकरंट को उजागर किया गया। यह रिपोर्ट दिखाती है कि माताएं पहचान, इमोशनल सपोर्ट और खुद के लिए थोड़ी सी जगह चाहती हैं खासकर उस भागदौड़ के बीच जिसमें उनका रोज़मर्रा बीतता है। इस सर्वे में भारत भर की 30 हज़ार से अधिक माताओं की प्रतिक्रियाएं शामिल की गईं। इसका उद्देश्य माताओं की मौजूदा इमोशनल वेलनेस स्थिति और परिवार, कार्यस्थल व समाज की ओर से मिलने वाले सपोर्ट में मौजूद खामियों को समझना था।

जहां 57% माताओं ने कहा कि उन्हें अपने परिवार से हमेशा इमोशनल सपोर्ट मिलता है, वहीं 33% ने माना कि उन्हें पूरा सपोर्ट नहीं मिलता। और जब वे किसी इमोशनल या फिजिकल कठिनाई से गुज़रती हैं, तब 57% माताओं ने कहा कि वे परिवार के साथ खुलकर बात नहीं कर पातीं  यह दर्शाता है कि सबसे जरूरी पलों में भी कम्युनिकेशन गैप बना रहता है।

जब माताओं से उनके वर्तमान इमोशनल स्टेट के बारे में पूछा गया, तो सिर्फ 34% ने कहा कि वे खुद को “महत्त्वपूर्ण और देखी-सुनी गई” (Valued and Seen) महसूस करती हैं। 37% ने “संतुलित और संतुष्ट” कहा, लेकिन करीब 28% ने माना कि वे खुद को “अनदेखी और थकी हुई” महसूस करती हैं। ये आंकड़े बताते हैं कि पारिवारिक जुड़ाव के बावजूद, कई माताएँ अपने रोज़ के रोल्स में खुद को इमोशनली अदृश्य महसूस करती हैं।

मेंटल थकावट (41%) और लगातार बनी रहने वाली टू-डू लिस्ट (32%) को सबसे बड़ी दैनिक चुनौतियों के रूप में पहचाना गया। सिर्फ 36% माताओं को प्रतिदिन एक घंटे से अधिक का पर्सनल टाइम मिल पाता है। खुद की वेलनेस को प्राथमिकता नहीं दे पाने का सबसे बड़ा कारण पारिवारिक जिम्मेदारियाँ (57%) थीं, इसके बाद समय की कमी और अपराधबोध (गिल्ट) (27%)।

फिर भी, छोटी-छोटी चीज़ों में उम्मीद दिखाई देती है। 67% माताओं ने कहा कि अगर वेलनेस-फ्रेंडली पॉलिसीज़ जैसे छोटे ब्रेक्स, फ्लेक्सिबल आवर्स या पीरियड लीव दी जाएँ, तो वे उनका सक्रिय रूप से उपयोग करेंगी। जब पूछा गया कि उन्हें सबसे ज़्यादा सपोर्ट किस चीज़ से महसूस होगा, तो करीब 46% ने कहा कि अगर घर में जिम्मेदारियाँ बाँटी जाएँ। इसके अलावा 26% ने कहा कि ज़्यादा एक्सप्रेस्ड लव एंड केयर चाहिए, और 13% ने गिल्ट-फ्री पर्सनल टाइम की इच्छा जताई।

सर्वे के नतीजों पर टिप्पणी करते हुए, हैबिल्ड के को-फाउंडर सौरभ बोथरा ने कहा, “मातृत्व में निःस्वार्थता (सेल्फलेसनेस) स्वाभाविक होती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि माताओं को केयर या सपोर्ट की जरूरत नहीं होती। वे शायद ही कभी अपनी दिनचर्या की शिकायत करती हैं।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Jyotsna Rawat

Related News