गंगा माई की बेटियां: एक मां और उसकी तीन बेटियों की संघर्ष भरी कहानी
punjabkesari.in Friday, Sep 19, 2025 - 03:40 PM (IST)

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। पीढ़ी दर पीढ़ी, महिलाओं ने समाज की उम्मीदों का बोझ उठाया है। उनके फैसलों पर सवाल उठे, संघर्षों में उन्हें चुप करा दिया गया और अक्सर उन्हें अकेले ही अपनी लड़ाई लड़नी पड़ी। लेकिन बार-बार उन्होंने टूटकर भी खुद को संभाला, रूढ़ियों को तोड़ा और अपनी राह खुद बनाई। ‘गंगा माई’ की कहानी भी ऐसी ही एक दास्तान है। अपने दम पर अपनी तीन बेटियों को पालने वाली गंगा माई समाज के ताने झेलती है, घर चलाने के लिए लगातार मेहनत करती है और अपनी बेटियों को पढ़ाती है ताकि वे अपने पैरों पर खड़ी हो सकें। उनका सफर यह याद दिलाता है कि सम्मान किसी और से नहीं मिलता, इसे खुद पाना पड़ता है।
इस अटूट जज़्बे का जश्न मनाते हुए, ज़ी टीवी प्रस्तुत करता है ‘गंगा माई की बेटियां’, एक ऐसी मां की संवेदनशील पारिवारिक कहानी जो सामाजिक ठप्पों के आगे झुकती नहीं। वह शून्य से अपनी जिंदगी फिर से बनाती है, बेटियों को सम्मान के साथ पालती है और उन्हें जीवन से डटकर सामना करना सिखाती है। ज़ी कन्नड़ के चर्चित धारावाहिक ‘पुट्टकाना मक्कलु’ से रूपांतरित यह शो एक मां की हिम्मत और उसकी बेटियों की लगन को सामने लाता है, यह साबित करता है कि बेटियां बोझ नहीं, बल्कि गर्व की वजह होती हैं।
‘आपका अपना ज़ी टीवी’ की नई पहचान के हिस्से के रूप में, चैनल ऐसी कहानियां लाता है जो सच्चे जज़्बातों और मकसद से जुड़ी हों। ‘गंगा माई की बेटियां’ इसी सोच की मिसाल है। वाराणसी की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर आधारित यह शो रवि दुबे और सरगुन मेहता के ‘ड्रीमियाता ड्रामा’ द्वारा बनाया गया है।
पहले ही प्रोमो प्रसारित होते ही यह शो सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन चुका है। शो के लॉन्च के लिए ज़ी टीवी ने मीडिया को चंडीगढ़ आमंत्रित किया जहां एक खास सेट टूर आयोजित किया गया। इस दौरान गंगा माई (शुभांगी लटकर) और उनकी बेटियां - स्नेहा (अमनदीप सिद्धू), सहाना (सृष्टि जैन) और सोनी (वैष्णवी प्रजापति) ने अपने ऑन-स्क्रीन ढाबे से मीडिया के लिए साधारण मगर दिल से परोसा गया लंच आयोजित किया, जिसमें उनके किरदारों की आत्मीयता और अपनापन झलक रहा था।
‘गंगा माई’ का किरदार निभा रहीं शुभांगी लाटकर ने कहा, “गंगा माई सिर्फ एक किरदार नहीं है, वह हर उस औरत की पहचान है जो निराशा की जगह सम्मान चुनती है। त्याग दिए जाने के बावजूद वह कड़वाहट को अपनी पहचान नहीं बनने देती। बल्कि अपने दर्द को ताकत बनाकर अपनी बेटियों को दया, हिम्मत और आत्मसम्मान के साथ बड़ा करती है। इस किरदार को निभाना मेरे लिए बेहद समृद्ध अनुभव रहा।”
अमनदीप सिद्धू ने कहा, “स्नेहा परिवार की अग्नि है। वह निडर, मुखर और बेहद सुरक्षात्मक है, जिसका सपना है ज़िला कलेक्टर बनना। पिता द्वारा छोड़े जाने की पीड़ा को वह अपने परिवार को आगे बढ़ाने के संकल्प में बदल देती है। स्नेहा का किरदार मुझे ताकतवर महसूस कराता है क्योंकि वह उद्देश्यपूर्ण और हार न मानने वाली औरत है।”
सृष्टि जैन ने कहा, “सहाना परिवार की शांति है। वह अपने स्नेह और पाक कला के हुनर से सबको एक साथ जोड़े रखती है। अक्सर गंगा माई और स्नेहा के बीच फंसी रहती है लेकिन अंत में समझदारी और संतुलन की आवाज़ बनकर उभरती है। इस किरदार ने मुझे यह सिखाया कि कोमलता में भी ताकत होती है।”
वैष्णवी प्रजापति ने कहा, “सोनी घर की मासूमियत और चमक लाती है। चंचल होते हुए भी उम्र से ज्यादा समझदार है, पढ़ाई और खेल दोनों में अच्छी है और यहां तक कि ढाबे के हिसाब-किताब भी संभाल लेती है। मुझे यह किरदार इसलिए पसंद है क्योंकि यह याद दिलाता है कि जिज्ञासा और सकारात्मकता परिवार की रूह को जिंदा रखती है।”
पॉपुलर एक्टर शीज़ान खान भी इस शो का हिस्सा बन रहे हैं। वे सिद्धांत उर्फ़ सिद्धू का किरदार निभा रहे हैं - बनारस का एक खौफनाक मगर दिल से नरम साहूकार। शीज़ान ने कहा, “सिद्धू बहुत दिलचस्प किरदार है - लोग उससे डरते हैं, लेकिन वह अपनी मां की इच्छाओं से बंधा एक बेहद भावुक इंसान है। बाहर से डरावना लगता है, पर दिल से इंसाफपसंद और नेक है। जब वह स्नेहा से मिलता है और उसमें अपनी मां की ताकत देखता है, उसकी जिंदगी बदल जाती है। यह भूमिका मेरे दिल के बहुत करीब है और मैं आभारी हूं कि मुझे ज़ी टीवी पर इतने गहरे और भावनात्मक किरदार के साथ वापसी करने का मौका मिला।” ‘गंगा माई की बेटियां’ का प्रीमियर 22 सितंबर 2025 को होगा और यह रोज रात 9 बजे सिर्फ ज़ी टीवी पर प्रसारित होगा।