ZEE5 की ओरिजिनल फिल्म और मधुर भंडारकर निर्देशित ''इंडिया लॉकडाउन'' का ट्रेलर रिलीज़ हुआ

punjabkesari.in Thursday, Nov 17, 2022 - 04:50 PM (IST)

मुंबई। राष्ट्रीय, 17 नवंबर 2022: भारत के अपने सबसे बड़े वीडियो स्ट्रीमिंग प्लैटफॉर्म, ज़ी5 ने अपनी नवीनतम ओरिजिनल फिल्म 'इंडिया लॉकडाउन' का ट्रेलर रिलीज़ किया। मधुर भंडारकर द्वारा निर्देशित, यह डायरेक्ट-टू-डिजिटल फ़िल्म, कोविड महामारी और भारत के लोगों पर उसके असर पर पहली हिंदी फीचर फिल्म है। मधुर भंडारकर के साथ अमित जोशी और आराधना साह द्वारा लिखी गई, इस ZEE5 ओरिजिनल फिल्म में श्वेता बासु प्रसाद, अहाना कुमरा, प्रतीक बब्बर, साई ताम्हनकर और प्रकाश बालेवाड़ी मुख्य भूमिकाओं में हैं और ऋषिता भट्ट एक ख़ास भूमिका में हैं।

पैन स्टूडियोज़ के डॉ. जयंतीलाल गडा, मधुर भंडारकर के भंडारकर एंटरटेनमेंट और प्रणव जैन के पी.जे. मोशन्स पिक्चर्ज़ द्वारा निर्मित, इंडिया लॉकडाउन का 21 नवंबर को आई.एफ.एफ.आई. गोवा में ग्लोबल प्रीमियर होगा, इसके बाद 2 दिसंबर को ZEE5 पर इसका वर्ल्ड डिजिटल प्रीमियर होगा। 2021 में फिल्मायी गई, यह फिल्म अलग-अलग क़िरदारों की चार समानांतर कहानियों को बयाँ करती है, जो कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन से प्रेरित एक अनजानी नाटकीय परिस्थिति में पहुँच जाते हैं।

ट्रेलर का लिंक –

जैसा कि ट्रेलर में देखा जा सकता है, श्वेता बासु प्रसाद मुंबई के कमाठीपुरा में एक वेश्या मेहरुन्निसा का क़िरदार अदा कर रही हैं, जिसे लॉकडाउन के चलते हुए बदलावों के हिसाब से अपने आप को ढालने और अपने धंधे को ऑनलाइन चलाने के नए तरीकों के साथ करने को आज़माने के लिए मजबूर हो जाती है। अहाना कुमरा ने मून एल्वेस का क़िरदार निभाया है, जो कि एक पायलट है जिसे आकाश में ऊँची उड़ान भरना अच्छा लगता है लेकिन उसे अचानक लगातार कई महीनों तक उड़ान भरे बग़ैर रहना पड़ता है और उसे पहली बार ऐसा एहसास होता है कि अपने पंख कतर दिए जायें तो कैसा महसूस होता है। माधव के क़िरदार में प्रतीक बब्बर और फूलमती के क़िरदार में साई ताम्हनकर बाहर से आये हुए मज़दूर हैं महामारी में जिनकी रोज़ी-रोटी छिन जाती है और उन्हें मजबूरन भूखा रहना पड़ता है या पैदल चलते हुए घर वापस जाना पड़ता है क्योंकि ट्रेनें और लोकल गाड़ियाँ सब बंद होती हैं। और आख़िर में, नागेश्वर के क़िरदार में प्रकाश बेलावाड़ी, एक बुज़ुर्ग इंसान जिसकी बेटी किसी मुसीबत की घड़ी में होती है और वो किसी दूसरे शहर में फँसा होता है। घबराए हुए और लाचार, क्या ये सभी लोग इंडिया लॉकडाउन की अनिश्चितता से ख़ुद को बचा पायेंगे?

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श्वेता बासु प्रसाद ने कहा, "वेश्याओं के साथ-साथ हम सभी ने अनिश्चितता से भरे एक लॉकडाउन का अनुभव किया है। जब लोग मुझसे पूछते हैं कि मैंने एक वेश्या की भूमिका निभाने के लिए कैसे तैयारी की, तो मैं बस इतना कहती हूँ कि यह मेरे लिए बस एक क़िरदार है, एक ऐसे इंसान की कहानी और एक अभिनेत्री के तौर पर इतने अलग-अलग प्रकार के क़िरदार निभाने का सौभाग्य मिला है। मैंने इसके ऊपर बहुत काम किया, सच कहूँ तो, मधुर सर और हमारी टीम के लोग मुझे मुंबई के कमाठीपुरा ले गए, जहाँ मैं कुछ वेश्याओं से मिली और उनकी भाषा, हाव-भाव और तौर-तरीकों को समझने की कोशिश की। मुझे यह भी एहसास हुआ कि इंसानी भावनायें एक सार्वभौमिक अनुभव है। चाहे वे इसे पढ़ने वाले इंसान हों या कोई धंधा करने वाली वेश्या हो। लॉकडाउन के दौरान बनी हर किसी की कहानियों को सुनाया जाना चाहिए।

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अहाना कुमरा ने कहा, "चिंता और अवसाद की तरह ही महामारी के दौरान अकेलापन चर्चा का एक बहुत ही ज़रूरी मुद्दा बन गया। इंडिया लॉकडाउन में मेरी कहानी ठीक उसी बात को उजागर करती है। मैं एक पायलट की अहम भूमिका निभा रही हूँ, जो कि एक बेहद आत्मनिर्भर महिला है जो अपने रास्ते ख़ुद बनाती है, जिसका एक शानदार, फलता-फूलता करियर है और जब महामारी आती है तो सब कुछ थम जाता है। मेरी कहानी यह बताती है कि कैसे वो अकेलेपन का सामना करती है और कैसे वह लॉकडाउन के दौरान एक साथ खोजने की कोशिश करती है। यह एक बहुत ही दिलचस्प हिस्सा है और मुझे मधुर सर के साथ काम करना बहुत अच्छा लगा। वे औरतों पर आधारित विषयों पर काम करते हैं और अपनी कहानियों में महिलाओं को चित्रित करना उन्हें पसंद है और मुझे खुशी है कि मुझे उनके साथ काम करने का मौका मिला। यह मेरे लिए एक सपना सच होने जैसा है, और मुझे पूरी उम्मीद है कि यह फिल्म दर्शकों को पसंद आयेगी और लोग फिल्म के सभी क़िरदारों में खुद को देख पायेंगे।"

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प्रतीक बब्बर ने बताया, “2020 में लगाए गए लॉकडाउन के कारण दूसरे शहरों से आये मज़दूरों की हालत के बारे में हम सभी ने पढ़ा है, लेकिन 2 साल बाद मधुर भंडारकर की फिल्म में उनको सामने लाने की मैंने  उम्मीद नहीं की थी। इंडिया लॉकडाउन में बाहर से आए एक मज़दूर के तौर पर मेरे क़िरदार ने मुझे उनके करीब आने और यह महसूस करने का मौका दिया कि उन्होंने अपनी ज़िंदगी के 2 सबसे मुश्किल सालों के दौरान सबसे ज़्यादा अनिश्चितताओं और संघर्षों को महसूस किया। मुझे उम्मीद है कि यह फिल्म दुनिया भर के लोगों के साथ जुड़ जायेगी और हम एक-दूसरे के साथ अधिक सहानुभूति भरा बर्ताव करें।

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साई ताम्हनकर ने कहा, “यह फिल्म बेबाक़, व्यावहारिक और भावनाओं से भरपूर है। मैं इस फिल्म का हिस्सा बनने के लिए आभारी हूँ, इसने मुझे जीनियस मधुर भंडारकर के साथ काम करने का मौका दिया, जो दर्शकों की नब्ज़ को समझते हैं और जानते हैं कि उन्हें क्या पसंद है और वे किस बात से ख़ुद को जोड़ेंगे। उनके पास एक्टरों के असली हुनर को बाहर निकालने और उन्हें वास्तविक और सहज बनाने की क्षमता है।

प्रकाश बेलावाड़ी ने कहा, “लॉकडाउन ने सभी लोगों पर अपना असर डाला था। हम सभी को लॉकडाउन में एडजस्ट करना और बिना किसी मदद करने वाले के अपने दम पर काम करना सीखना था। लोगों को नए हुनर सीखने पड़े और बहुत से कामों को डिजिटल तरीके से करना पड़ा; यहाँ तक ​​कि आमने-सामने बैठकर मिलने के बजाय आभासी तरीके से बात-चीत करने के आदी हो गए। तो, यह फिल्म उन सब बातों के साथ और भी बहुत कुछ बयाँ करती है। मुझे यकीन है कि हर उम्र के और दुनिया भर के लोग इस फिल्म से खुद को जोड़ पायेंगे क्योंकि कोविड ने हमें कुछ ऐसे ही प्रभावित किया है।”


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