Kaal Trighori Review: सिर्फ हॉरर नहीं है ''काल त्रिघोरी'', फिल्म खत्म होने के बाद भी दिलो-दिमाग में रहेगा डर
punjabkesari.in Friday, Nov 14, 2025 - 10:38 AM (IST)
फिल्म: काल त्रिघोरी (Kaal Trighori)
स्टारकास्ट: अरबाज़ ख़ान (Arbaaz Khan), ऋतुपर्णा सेनगुप्ता (Rituparna Sengupta), आदित्य श्रीवास्तव (Aditya Srivastava), महेश मांजरेकर (Mahesh Manjrekar), राजेश शर्मा (Rajesh Sharma) और मुग्धा गोडसे (Mugdha Godse)
निर्देशक: नितिन एन वैद्य (Nitin N. Vaidya)
रेटिंग: 3.5*
काल त्रिघोरी: ‘काल त्रिघोरी’ निर्देशक नितिन एन वैद्य की एक सुपरनैचुरल थ्रिलर है, जो भारतीय लोककथा, पौराणिक मिथकों और मनोवैज्ञानिक डर को एक साथ जोड़ती है। यह फिल्म अपने घने माहौल, अनोखी अवधारणा और दमदार तकनीकी प्रस्तुति से हॉरर जॉनर को एक नई दिशा देती है। अरबाज़ ख़ान, ऋतुपर्णा सेनगुप्ता, आदित्य श्रीवास्तव और महेश मांजरेकर जैसे कलाकारों से सजी यह फिल्म शुरुआत से ही एक रहस्यमय दुनिया खड़ी कर देती है, जहां हर क्षण कुछ अनहोनी का एहसास बना रहता है।

कहानी
फिल्म की कहानी एक दुर्लभ खगोलीय संयोग “त्रिघोरी” पर आधारित है एक ऐसा समय जब चैत्र अमावस्या, चैत्र पूर्णिमा और बैसाखी अमावस्या एक ही महीने में आती हैं। लोककथाओं के अनुसार, यह संयोग सौ साल में सिर्फ एक बार होता है और इसी दौरान एक प्राचीन विनाशकारी शक्ति जागृत होती है। कहानी एक पुरानी, सुनसान हवेली तक पहुंचती है जहां तीन लोग रविराज (अरबाज़ ख़ान), उनकी पत्नी माधुरी (ऋतुपर्णा सेनगुप्ता) और दोस्त डॉ. मनोज (आदित्य श्रीवास्तव) रहस्यमयी घटनाओं के जाल में फँस जाते हैं। धीरे–धीरे उनके सामने यह सवाल खड़ा होता है कि वे किसी अलौकिक शक्ति का सामना कर रहे हैं या फिर यह सब किसी सुनियोजित मानवीय साज़िश का हिस्सा है। विज्ञान और विश्वास के बीच की यह टकराहट कहानी को और भी रोचक बना देती है।

एक्टिंग
अभिनय की बात करें तो अरबाज़ ख़ान हॉरर फिल्म में पहली बार नज़र आते हैं और उन्होंने अपने किरदार की गंभीरता और डर को अच्छे से पकड़ा है। ऋतुपर्णा सेनगुप्ता अपनी भावनात्मक अभिव्यक्ति और नियंत्रण के साथ कहानी में गहराई जोड़ती हैं। आदित्य श्रीवास्तव का किरदार रहस्य और परतें समेटे हुए है, जिसे उन्होंने बेहतरीन ढंग से निभाया है। महेश मांजरेकर, राजेश शर्मा और मुग्धा गोडसे जैसी सपोर्टिंग कास्ट भी मजबूत प्रदर्शन देती है, जिससे फिल्म का इंप्रेशन और मजबूत होता है।

डायरेक्शन
तकनीकी स्तर पर ‘काल त्रिघोरी’ की सबसे बड़ी ताकत इसका वातावरण है। सिनेमैटोग्राफी में अंधेरा, धुंध, कम रोशनी और विशाल हवेली का उपयोग फिल्म को एक भयानक लेकिन आकर्षक लुक देता है। साउंड डिज़ाइन और बैकग्राउंड स्कोर दर्शकों को सीट से बांधे रखते हैं और कई दृश्यों में दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं। निर्देशक नितिन एन वैद्य ने हॉरर को सिर्फ “जंप स्केयर” तक सीमित नहीं रखा, बल्कि एक भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक अनुभव बनाया है। वे पौराणिकता और आधुनिक डर को जोड़ते हुए एक ऐसा माहौल रचते हैं, जो फिल्म खत्म होने के बाद भी दिमाग में घूमता रहता है।

फैसला
यदि आप हॉरर फिल्मों के शौकीन हैं, तो ‘काल त्रिघोरी’ सिनेमाघर में देखने लायक है। इसकी कहानी, वातावरण और तकनीकी गुणवत्ता बड़े पर्दे पर ही पूरा असर छोड़ती है। कमजोर दिल वालों को जरूर सावधान रहना चाहिए क्योंकि इस फिल्म का डर थिएटर से बाहर तक साथ चलता है।
