मिलिए युवा उस्ताद ऋषभ रिखीराम शर्मा से, जो भारत की सबसे आत्मिक संगीत यात्रा - ‘सितार फॉर मेंटल हेल्थ’ टूर - के पीछे की प्रेरणा हैं

punjabkesari.in Friday, Apr 11, 2025 - 04:27 PM (IST)

मुंबई। क्या सितार आपको ठीक कर सकता है? यही सवाल 26 वर्षीय ऋषभ रिखीराम  शर्मा अपने हर हाउसफुल शो के ज़रिए दुनिया से पूछ रहे हैं — और जवाब में सिर्फ तालियाँ ही नहीं, बल्कि गहराई से जुड़ी भावनाएँ भी मिल रही हैं।

महान पंडित रवि शंकर के शिष्य ऋषभ न सिर्फ़ एक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं, बल्कि उसे नई पीढ़ी के लिए फिर से गढ़ भी रहे हैं। अपनी अनोखी शैली में क्लासिकल  सितार और आधुनिक भावनाओं का संगम पेश करते हुए, उन्होंने इस साल के सबसे बहुप्रतीक्षित सांस्कृतिक आयोजन — ‘ सितार फॉर मेंटल हेल्थ’ इंडिया टूर — की शुरुआत की है।

इस टूर की धमाकेदार शुरुआत दिल्ली से हुई, जहाँ देश के सबसे बड़े इनडोर स्टेडियम में 14,000 से ज़्यादा लोगों ने उनकी प्रस्तुति देखी। जैसे ही ऋषभ मंच पर आए, माहौल बदल गया — यह सिर्फ़ एक परफॉर्मेंस नहीं थी, बल्कि एक भावनात्मक और ध्यानपूर्ण यात्रा थी। 18 से 80 साल के दर्शकों के बीच, यह एक ऐसा अनुभव था जिसने पीढ़ियों के बीच की दूरी को मिटा दिया। कार्यक्रम का समापन तालियों की गड़गड़ाहट और स्टैंडिंग ओवेशन के साथ हुआ।

अब सबकी निगाहें मुंबई पर टिकी हैं। 13 अप्रैल को ऋषभ अपनी  सितार और इसके पीछे के उद्देश्य के साथ मुंबई आ रहे हैं। दिल्ली शो की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं और टिकट्स तेजी से बिक रहे हैं — यह साफ है कि यह सिर्फ एक म्यूज़िकल टूर नहीं, बल्कि एक आंदोलन बन चुका है। ऐसा लग रहा है कि संगीत के साथ लोगों का रिश्ता — और खुद के साथ जुड़ाव — एक नए रूप में उभर रहा है।

ऋषभ की शैली केवल नवाचार नहीं, बल्कि उद्देश्य से प्रेरित है। उनका संगीत एक पुल है — परंपरा और आधुनिकता के बीच, बेचैनी और शांति के बीच, प्रस्तुति और उद्देश्य के बीच। वे शास्त्रीय प्रशिक्षण में रचे-बसे हैं, लेकिन वे भावनाओं, मौन और अनुगूंज को इस तरह पिरोते हैं कि यह बेहद समकालीन और सजीव लगता है। यह संगीत कच्चा है, संवेदनशील है और सबसे बढ़कर — असली है।

संगीत से परे है उनका मिशन। ‘ सितार फॉर मेंटल हेल्थ’ सिर्फ़ एक टूर नहीं, बल्कि एक दर्शन है — जो उपचार, मानसिक स्वास्थ्य और साझी मानव अनुभूति में जड़ें जमाए हुए है। एक ऐसी दुनिया में जो तेज़ी से भाग रही है, ऋषभ की  सितार  एक विराम है। एक साँस। एक ऐसा क्षण जहाँ सिर्फ़ महसूस किया जा सकता है।

जो लोग उनके सफर से अनजान हैं, उनके लिए बता दें कि ऋषभ  रिखीराम  शर्मा पंडित रवि शंकर के सबसे युवा और अंतिम शिष्य हैं। उन्होंने 10 साल की उम्र में सिटर उठाया और 13 की उम्र में मंच पर कदम रखा। पिछले साल भर में उन्होंने भारत, अमेरिका, कनाडा और दक्षिण अमेरिका में अपने टूर के ज़रिए हज़ारों लोगों को प्रभावित किया है। वह इतिहास में पहले ऐसे सिटरवादक बने जिन्हें व्हाइट हाउस में एकल प्रस्तुति देने के लिए राष्ट्रपति जो बाइडेन, फर्स्ट लेडी जिल बाइडेन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस द्वारा दिवाली समारोह के लिए आमंत्रित किया गया।

उनकी उपस्थिति इतनी प्रभावशाली इसलिए है क्योंकि वे कुछ अलग दिखने की कोशिश नहीं करते — वे वैसे ही हैं। शांत आत्मविश्वासी, आध्यात्मिक और अपने संगीत के प्रति समर्पित, ऋषभ एक ऐसा मंच तैयार कर रहे हैं जहाँ भारतीय पारंपरिक संगीत सिर्फ़ संरक्षित नहीं हो रहा, बल्कि फिर से जन्म ले रहा है। और इसी प्रक्रिया में, वे एक ऐसा समुदाय बना रहे हैं जहाँ संगीत दवा बन जाता है, और प्रस्तुति जुड़ाव।

जैसे-जैसे ‘ सितार  फॉर मेंटल हेल्थ’ इंडिया टूर मुंबई से पुणे, अहमदाबाद, जयपुर, चंडीगढ़, हैदराबाद, इंदौर, बेंगलुरु और कोलकाता की ओर बढ़ता है, यह स्पष्ट हो रहा है कि हम केवल एक संगीत सितारे का नहीं, बल्कि एक पूरी पीढ़ी की आवाज़ के उदय के साक्षी बन रहे हैं — एक ऐसी आवाज़ जो भारतीय संगीत की ध्वनि और आत्मा दोनों को नया रूप दे रही है।


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Content Editor

Diksha Raghuwanshi

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