Homebound Review:नीरज घेवान की यह फिल्म दिल को छूती और समाज को झकझोरती है
punjabkesari.in Friday, Sep 26, 2025 - 01:47 PM (IST)

फिल्म: होमबाउंड (Homebound)
निर्देशक: नीरज घेवान (Neeraj Ghaywan)
स्टारकास्ट: ईशान खट्टर (Ishaan Khattar),विशाल जेठवा (Vishal Jethwa),जाह्नवी कपूर ( jahnavi kapoor)
रेटिंग: 4*
Homebound: जातिवादी भेदभाव, सामाजिक हाशिए और इंसानी गरिमा जैसे विषयों को जिस गहराई और संवेदनशीलता से निर्देशक नीरज घेवान पर्दे पर लाते हैं, वह उन्हें आज के सबसे जरूरी फिल्मकारों में शामिल करता है। मसान के बाद उनकी नई फिल्म होमबाउंड एक बार फिर यह साबित करती है कि सिनेमा सिर्फ कहानी नहीं, सामाजिक हस्तक्षेप भी होता है।
होमबाउंड, जो भारत की ओर से ऑस्कर 2026 की आधिकारिक एंट्री बन चुकी है, को कान फिल्म फेस्टिवल में 9 मिनट का स्टैंडिंग ओवेशन मिलना कोई संयोग नहीं। यह फिल्म संवेदनाओं की एक ऐसी यात्रा है, जो दोस्ती, असमानता, पहचान और आत्मसम्मान की लकीरों के बीच बहती है।
कहानी
कहानी मापुर नामक एक सुदूर गांव से शुरू होती है, जहां जातिगत भेदभाव एक जीती-जागती सच्चाई है। यहां के दो युवा चंदन कुमार (विशाल जेठवा) और मोहम्मद शोएब (ईशान खट्टर), पुलिस भर्ती परीक्षा देने शहर आते हैं। इसी दौरान उनकी मुलाकात होती है सुधा भारती (जाह्नवी कपूर) से एक अंबेडकरवादी युवती, जो न सिर्फ अपने आत्मसम्मान के लिए लड़ती है बल्कि पूरे समुदाय को शिक्षा और जागरूकता के रास्ते ऊपर उठाना चाहती है।
जब चंदन परीक्षा में सफल हो जाता है और शोएब असफल, तो दोस्ती में तनाव आ जाता है। नतीजों पर रोक लगने और हालात के करवट लेने के साथ ही सुधा और चंदन की नजदीकियां बढ़ती हैं, और कहानी एक और स्तर पर पहुंच जाती है। पूरी फिल्म कई उतार चढ़ाव से भरी हुई है आपको फिल्म देखने पर ही इसका असली मर्म समझ आएगा।
निर्देशन
नीरज घेवान का निर्देशन फिल्म की सबसे बड़ी ताकत है। उनकी शैली में दिखावटीपन नहीं है, न ही जबरन का मेलोड्रामा। वे कहानी को उसके पूरे यथार्थ और गरिमा के साथ सामने रखते हैं। उन्होंने साबित कर दिया कि सादगी भी एक बड़ी ताकत हो सकती है खासकर तब, जब आप लोगों के जख्मों को उनकी भाषा में दिखाते हैं।
अभिनय
जाह्नवी कपूर (सुधा भारती) ने अब तक के अपने करियर का शायद सबसे गंभीर और प्रभावशाली अभिनय किया है। उनकी आंखों में क्रांति है, और संवादों में गरिमा। चंदन कुमार की भूमिका निभाने वाले अभिनेता विशाल जेठवा ने बेहतरीन संवेदनशीलता दिखाई है। ईशान खट्टर की भूमिका में भी एक गहरी पीड़ा है जिसे उन्होंने ने बखूबी पर्दे पर उतारा है। फिल्म का सपोर्टिंग कास्ट भी मजबूत है और कहानी में विश्वसनीयता बनाए रखता है।