डिप्लोमैट की स्क्रिप्ट मेरे लिए बहुत मुश्किल लेकिन सबसे प्रभावशाली : सादिया खातीब
punjabkesari.in Monday, Mar 10, 2025 - 12:08 PM (IST)

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। फिल्म डिप्लोमैट आने वाले 14 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है। इस फिल्म में जॉन अब्राहम और सादिया खातीब लीड रोल में नजर आने वाले हैं। फिल्म की कहानी सत्य घटना पर आधारित है। फिल्म डिप्लोमैट को शिवम नायर द्वारा डायरेक्ट किया गया है। टी-सीरीज और जॉन अब्राहम ने इसे प्रोड्यूस किया है। इस फिल्म में सादिया खातीब उस लड़की का किरदार निभा रहीं हैं जिसे जेपी सिंह (जॉन अब्राहम) बचाते हैं।
फिल्म के बारे में एक्ट्रेस सादिया खातीब ने नवोदय टाइम्स, पंजाब केसरी, जगबाणी, और हिंद समाचार से खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश:
सादिया खातीब
सवाल: फिल्म डिप्लोमैट में अपने किरदार के बारे में बताइए और किस तरह आपको यह फिल्म ऑफर हुई?
जवाब: मैंने इस फिल्म के लिए ऑडिशन दिया था। मैं एक एक्टर हूं, तो लगातार अलग-अलग ऑडिशन देती रहती हूं। जब यह स्क्रिप्ट मेरे पास आई, तो मैं बहुत उत्सुक हो गई क्योंकि इसमें बहुत कोर और इंटेंस सीन्स थे। यह फिल्म की सबसे मुश्किल लेकिन सबसे प्रभावशाली स्क्रिप्ट थी। जब मैंने ऑडिशन दिया, तो हमारे कास्टिंग डायरेक्टर जोगी सर ने तुरंत कहा, "मैं तुम्हें सीधे सेट पर देखूंगा।" उस वक्त मुझे यकीन नहीं हुआ, लेकिन जब बाद में पता चला कि शिवम नायर सर इसे डायरेक्ट कर रहे हैं और जॉन अब्राहम सर इसमें लीड कर रहे हैं, तो लगा कि यह तो सपने जैसा है। सबसे बड़ी बात यह थी कि स्क्रिप्ट बहुत ही हार्ड-हिटिंग और थ्रिलिंग थी। जब मुझे यह रोल मिला, तो मुझे लगा कि "यह मेरी मेहनत नहीं, यह पूरी तरह से मेरी किस्मत और भगवान की देन है कि मुझे यह फिल्म मिली और इसमें जो मेरा किरदार है वह एक हिम्मत वाली लड़की का है जो काफी सेंसिटिव भी है। यह एक असल जिंदगी की कहानी है जिनका नाम है उजमा अहमद, तो आप फिल्म देखेंगे तो आपको पता चलेगा।
सवाल: आपने अपने किरदार के लिए कैसे तैयारी की, उसके बारे में बताइए?
जवाब: जब मैंने स्क्रिप्ट पढ़ी, तो यह पूरी तरह से बेसिक ह्यूमन इमोशन पर आधारित थी। इसीलिए मैंने सबसे पहले अपने डायरेक्टर के साथ बैठकर उनके विजन को समझा। उन्होंने मुझसे साफ कहा कि "तुम उजमा अहमद से नहीं मिलोगी, उनकी कोई वीडियो या ऑनलाइन कंटेंट भी नहीं देखोगी।" क्योंकि वह चाहते थे कि मैं इस किरदार को अपने तरीके से समझूं और उसे निभाऊं। उन्होंने अपना नरेशन दिया और बताया कि असली उस्मान का सफर कैसा था, लेकिन किरदार को मैंने अपनी समझ के हिसाब से अपनाया।
सवाल: आपको अपने क्रश (जॉन अब्राहम) के साथ काम करके कैसा लगा?
जवाब: मेरा क्रश धूम के कबीर पर था, जब मैं चौथी क्लास में थी! मैं उनकी बहुत इज्जत करती हूं। जब मैं सेट पर गई, तो वहां जॉन सर नहीं, बल्कि JP सिंह थे। वह सेट पर कोट पैंट और मूछ लगाए हुए थे। वह अपने किरदार को लेकर इतने सीरियस थे कि मुझे कहीं से भी वह वही लंबे, चौड़े, बाइक वाले जॉन अब्राहम नहीं लग रहे थे। वह बाइक से नहीं आते थे, बल्कि कार से आकर मुझे बचाते थे। जॉन सर ने अपने किरदार को इतनी ईमानदारी से निभाया कि मैं भी पहचान नहीं पाई कि यह जे पी सिंह नहीं बल्कि जॉन अब्राहम हैं।
सवाल: टी सीरीज के साथ अनुभव कैसा था?
जवाब: मैं पहले भी टी सीरीज के साथ रक्षाबंधन में काम कर चुकी हूं, तो वहां का माहौल मेरे लिए नया नहीं था। लेकिन इस बार यह और भी बड़ा था, क्योंकि जॉन सर खुद प्रोड्यूसर भी थे। लेकिन मजे की बात यह है कि जॉन सर सेट पर प्रोड्यूसर की तरह नहीं सिर्फ जे पी सिंह बनकर ही रहते थे।
सवाल: सौरभ शुक्ला और कोमल मिश्रा जैसे दिग्गज कलाकारों के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
जवाब: मुझे सबसे ज़्यादा मजा शारिब भाई और कुमुद सर के साथ आया। हम पटियाला में सुबह की सैर पर जाते थे और मेरी छोटी बहन भी मेरे साथ होती थी। हम शूटिंग के दौरान कसौली ट्रिप पर भी गए थे और वहां बहुत मस्ती की थी। एक तो वह इतने लाजवाब एक्टर हैं और वह काफी फनी भी हैं। मैं हमेशा पूछती थी कि सर कैसे करते हो तो वह हमेशा कहते थे कि "राज की पोटली है, मैं किसी को नहीं बताऊंगा।" वह दोनों ही बहुत ही अच्छे इंसान हैं।
सवाल: सेट पर कोई मजेदार किस्सा जो आपको हमेशा याद रहेगा?
जवाब: हमें एक दिन के लिए शूटिंग से छुट्टी मिली थी, तो हम कसौली घूमने चले गए। वहां एक जगह बंदरों की पूरी टोली थी और हमने उनके बीच डांस करना शुरू कर दिया। यह इतनी मजेदार और अनोखी याद है, जिसे मैं कभी नहीं भूलूंगी।
सवाल: क्या आपको कभी इस बात का अफसोस होता है कि आपने लैला मजनू फिल्म का मौका गंवा दिया?
जवाब: यह फिल्म मुझे ऑफर हुई थी, लेकिन मैंने खुद ब्लॉक कर दिया था क्योंकि मुझे लगा कि यह फेक कॉल है। बाद में जब सच्चाई पता चली, तो थोड़ा अफसोस जरूर हुआ। मेरी मां को मैंने बोला लेकिन उन्होंने ही मुझे कहां कि "ह्यूमन ट्रैफिकिंग के लोग हैं, उठा कर ले जाएंगे तो कहीं मुंबई नहीं जाना।" जिन कास्टिंग डायरेक्टर को मैंने ब्लॉक किया, वह आज मेरी बहुत अच्छी दोस्त हैं। तो उन्होंने मुझे कहा कि "एक बार सुन तो लेती।" मेरा मानना है कि हर चीज अपने समय पर होती है।
सवाल: पहली फिल्म शिकारा कैसे मिली?
जवाब: मुझे पहली फिल्म ऐसे मिली कि जब मैंने लैला मजनू रिजेक्ट की थी, तो उन्होंने मेरा डाटा उठाकर एक साइड कंप्यूटर में डाला। एक साल बाद जब वह शिकारा के लिए एक्ट्रेस ढूंढ रहे थे, तो फिर दोबारा उन्होंने मुझे कॉल किया। आस्था ने कहा कि "मैं एक रियल पर्सन हूं," तो मैंने मेरे मुंबई में रह रहे कजन्स से कंफर्म कराया और फिर यह हुआ कि मेरे घर वाले नहीं मानेंगे, लेकिन उन्होंने मेरे लिए बहुत कुछ किया। वह को-एक्टर्स के साथ जम्मू आईं और मिली, फिर ऑडिशन लिया और विधु विनोद सर को दिखाया। फिर उन्होंने मेरे पापा को समझाया और मैं इस फिल्म के लिए तैयार हुई।