SC कोर्ट का फैसला, कॉरेस्पोंडेंस से नहीं होगा टेक्निकल कोर्स

punjabkesari.in Friday, Nov 03, 2017 - 01:45 PM (IST)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने पत्राचार के जरिये पढ़ाई करने के मामले में आज एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए स्पष्ट किया कि किसी भी तरह की तकनीकी शिक्षा पत्राचार के माध्यम से नहीं की जा सकेगी। शीर्ष न्यायालय ने उड़ीसा उच्च न्यायालय के उस फैसले को खारिज करते हुए कहा कि किसी भी प्रकार की तकनीकी शिक्षा दूरस्थ पाठ्यक्रम के माध्यम से उपलब्ध नहीं कराई जा सकती। उच्च न्यायालय ने पत्राचार के जरिये तकनीकी शिक्षा को सही माना था। उच्चतम न्यायालय के इस फैसले से प्रबंधन, मेडिकल,इंजीनियरिंग और फार्मेसी समेत कई अन्य पाठ्यक्रम जो तकनीकी पाठ्यक्रम की श्रेणी में आते हैं अब छात्र इनकी पढ़ाई पत्राचार के माध्यम से नहीं कर पायेंगे।

शीर्ष न्यायालय के इस फैसले से पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के उस निर्णय पर भी अपनी संस्तुति जाहिर की जिसमें कंप्यूटर विज्ञान में पत्रकाचार के माध्यम से ली गई डिग्री को नियमित तरीके से हासिल डिग्री की तरह मानने से इंकार कर दिया।  शीर्ष न्यायालय का यह फैसला इस लिहाज से अहम है कि आमतौर पर ऐसा देखा जाता है कि दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से पढऩे की वजह से छात्र को व्यावहारिक ज्ञान या तो होता ही नहीं है अथवा कम होता है।

एआईसीटीई से मंजूरी लेना है जरुरी
देश में तकनीकि पाठ्यक्रमों और कोर्सेज को चलाने के लिए अखिल भारतीय तकनीकि शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) से मंजूरी लेना अनिवार्य है। सभी तरह के तकनीकि कोर्सेज चलाने वाले सरकारी और गैर सरकारी संस्थान एआईसीटीई के नियमों के मुताबिक ही संचालित होते हैं। केंद्र सरकार की यही संस्था सभी तकनीकि शिक्षण संस्थानों जो इंजीनियरिंग डिग्री, इंजीनियरिंग डिप्लोमा, फार्मेसी या मैनेजमेंट का कोर्स चलाते हैं, उन्हें रेग्यूलेट करती है।

रोजगार के अधिक मौके उपलब्ध करवाना है लक्ष्य
गौरतलब है कि अखिल भारतीय तकनीकि शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) देशभर के इंजीनियरिंग कॉलेजों के लिए नया संशोधित सिलेबस तैयार कर रही है। माना जा रहा है कि अगले शैक्षणिक सत्र से नया सिलेबस लागू कर दिया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक नए सिलेबस को मानव संसाधन विकास मंत्रालय से भी मंजूरी मिल चुकी है। सिलेबस में परिवर्तन करने का मकसद इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे छात्रों को नई टेक्नोलॉजी से रू-ब-रू कराने के साथ उन्हें रोजगार के अधिक मौके उपलब्ध कराना है। भारत में काफी समय से इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव नहीं हुआ है।


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