बच्चों को पढऩा -लिखना सिखाएंगे बच्चे

punjabkesari.in Friday, Jul 28, 2017 - 06:06 PM (IST)

नई दिल्ली :  शहजादी एक शिक्षिका  बिल्कुल नहीं लगती लेकिन महज 11 साल की इस बच्ची ने दूसरे बच्चों को लिखना-पढऩा सिखाने का जिम्मा उठाया है। दक्षिण दिल्ली के गोविंदपुरी की झुग्गी में रहने वाली शहजादी का मिशन दूसरे बच्चों को सीखने में मदद करना है। उसका यह लक्ष्य उस पहल का हिस्सा है जिसे राष्ट्रीय राजधानी में कल शुरू किया गया। 300 एम या 300 मिलियन चैलेंज नाम की पहल का उद्देश्य हजारों लड़कों और लड़कियों को मजेदार तरीके से शिक्षा देना है।

कथा लैब स्कूल में छठी कक्षा की छात्रा ने इसके शुभारंभ के समय कहा,कई बच्चे हैं जो पढ़ या लिख नहीं सकते। सरकारी स्कूलों में छात्रों को मिलने वाली सुविधाएं पर्याप्त नहीं है। एनजीओ और कॉरपोरेट हाउसेज की इस संयुक्त पहल का मकसद 17 राज्यों में बच्चों को दूसरे बच्चों की मदद से पढऩा और लिखना सिखाना है। इस अभियान का नेतृत्व करने वाले एनजीओ ने एक बयान में कहा,यहां 15 करोड़ बच्चे पढ़ सकते हैं और 15 करोड़ नहीं पढ़ सकते। अगर बच्चे यह कर सकते हैं तो उन्हें दूसरे बच्चों, अपनी दुनिया के साथ यह करना चाहिए।

रंग बिरंगी किताबों, सामुदायिक पुस्तकालयों, ई-बुक्स और एप्प की मदद से इस पहल का मकसद 5-10 उम्र वर्ग के बच्चों को पढऩा सिखाना है। कथा की कार्यकारी निदेशक गीता धर्मराजन ने कहा कि इस पहल का ध्यान अच्छी तरह से तैयार की गई किताबों के साथ सरकारी स्कूल की व्यवस्था को मजबूत करना होगा तथा उन्हें सिखाना होगा जिससे उन्हें पढऩे में मजा आएगा।

यूनेस्को की सितंबर 2016 की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत को अपने वैश्विक शैक्षिक लक्ष्यों को हासिल करने में आधी सदी की देरी होगी। धर्मराजन ने  कहा, हमारे पास दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में करीब 550 पुस्तकालय हैं जहां हमारे वालंटियर बच्चों को पढ़ाते हैं। हमने 50 झुग्गी बस्तियों को चुना है जहां हम जल्द ही इन पुस्तकालयों को शुरू करेंगे।उन्होंने बताया कि यह अभियान जल्द ही भारत के 17 राज्यों में शुरू किया जाएगा।


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