स्कूल से लेकर MA तक जानिए नई शिक्षा नीति में हुए क्या बदलाव, जो जानना आपके लिए जरूरी

punjabkesari.in Thursday, Jul 30, 2020 - 12:27 PM (IST)

नई दिल्ली- देश में नई शिक्षा नीति लागू होने जा रही है। पीएम मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में नई शिक्षा नीति को मंजूरी मिल गई है। मंत्रालय के अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी। नई शिक्षा नीति में घरेलू और स्थानीय भाषा पर जोर दिया गया है। सरकार को जोर हायर एजुकेशन का रजिस्ट्रेशन अनुपात 2035 तक 50 फीसदी तक ले जाना है। नई शिक्षा नीति में स्कूल शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किए गए हैं-

जानें स्कूली शिक्षा के बड़े बदलाव---

नई शिक्षा नीति में पांचवी क्लास तक मातृभाषा, स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई का माध्यम रखने की बात कही गई है, इसे क्लास आठ या उससे आगे भी बढ़ाया जा सकता है। 9 से 12वीं के स्टूडेंट्स को विषय चुनने की आजादी होगी। साइंस या गणित के साथ फैशन डिजाइनिंग भी पढ़ने की आजादी होगी। 

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10वीं एवं 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को आसान बना दिया है। नई शिक्षा नीति के अनुसार बच्चों का रिपोर्ट कार्ड भी नये तरीके से तैयार किया जा सकता है। रिपोर्ट कार्ड में तीन लोग बच्चे का असेसमेंट करेंगे। एक, खुद बच्चा अपना असेसमेंट करेगा, दूसरा उसका सहपाठी करेगा और तीसरे टीचर उसका असेस्टमेंट करेंगे। बच्चे को कौन सी स्किल सिखाई जानी चाहिए, वो रिपोर्ट कार्ड में लिखा जाएगा।"

विदेशी भाषाओं की पढ़ाई सेकेंडरी लेवल से होगी हालांकि नई शिक्षा नीति में यह भी कहा गया है कि किसी भी भाषा को थोपा नहीं जाएगा। साल 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100% जीईआर के साथ माध्यमिक स्तर तक एजुकेशन फ़ॉर ऑल का लक्ष्य रखा गया है। 

स्कूल पाठ्यक्रम के 10 + 2 ढांचे की जगह 5 + 3 + 3 + 4 का नया पाठयक्रम संरचना लागू किया जाएगा जो क्रमशः 3-8, 8-11, 11-14, और 14-18 उम्र के बच्चों के लिए है। इसमें अब तक दूर रखे गए 3-6 साल के बच्चों को स्कूली पाठ्यक्रम के तहत लाने का प्रावधान है, जिसे विश्व स्तर पर बच्चे के मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण चरण के रूप में मान्यता दी गई है।

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छठी क्लास से वोकेशनल कोर्स शुरू किए जाएंगे, इसके लिए इसके इच्छुक छात्रों को छठी क्लास के बाद से ही इंटर्नशिप करवाई जाएगी। इसके अलावा म्यूज़िक और आर्ट्स को बढ़ावा दिया जाएगा. इन्हें पाठयक्रम में लागू किया जाएगा।

उच्च शिक्षा के बड़े बदलाव 

--M.Phil की नहीं होगी ज़रूरत
उच्च शिक्षा में कई बदलाव किए गए हैं- जो छात्र रिसर्च करना चाहते हैं उनके लिए चार साल का डिग्री प्रोग्राम होगा जो लोग नौकरी में जाना चाहते हैं वो तीन साल का ही डिग्री प्रोग्राम करेंगे। 

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जो रिसर्च में जाना चाहते हैं वो एक साल के एमए (MA) के साथ चार साल के डिग्री प्रोग्राम के बाद सीधे पीएचडी (PhD) कर सकते हैं उन्हें एमफ़िल (M.Phil) की ज़रूरत नहीं होगी।

अगर चार साल इंजीनियरिंग पढ़ने या 6 सेमेस्टर पढ़ने के बाद किसी कारणवश आगे नहीं पढ़ पाते हैं तो कोई उपाय नहीं होता, लेकिन मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम में 1 साल के बाद सर्टिफिकेट, 2 साल के बाद डिप्लोमा और 3-4 साल के बाद डिग्री मिल जाएगी।

नई शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्जाम का ऑफर दिया जाएगा। यह संस्थान के लिए अनिवार्य नहीं होगा। राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी यह परीक्षा कराएगी।


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Author

Riya bawa

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