विश्व स्तर पर आदिवासी शिक्षा को पहचान दिलाने वाला नायक

punjabkesari.in Thursday, Apr 24, 2025 - 12:14 PM (IST)

नई दिल्ली। हमारी दुनिया में जहां विशेषज्ञता को सराहा जाता है वहीं जीवन में कुछ  ऐसे भी शख्स आते है जो शिक्षा, सामाजिक कार्य, आदिवासी सशक्तिकरण, स्वास्थ्य सेवा, खेल, आध्यात्मिकता, संस्कृति और ग्रामीण विकास को अपने जीवन की निर्बाध यात्रा में शामिल करता है। वो शख्स इन सभी को एक छत के नीचे, एक नजरिये से, और एक ही जीवनकाल में साथ लेकर आए है। प्रो. अच्युत सामंत ने न केवल इनमें से प्रत्येक क्षेत्र में काम किया है, बल्कि उन्होंने इन सभी में उत्कृष्टता भी हासिल की है। और ऐसा उन दो संस्थानों के माध्यम से किया जिन्हें उन्होंने अपने पसीने से सींचा है। वो हैं-  द कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी और कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज ।

उन्होंने अपने शैक्षिक संस्थानों को प्रभावशाली केंद्र के रूप में तब्दील किया। द कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी भारत के टॉप के निजी विश्वविद्यालयों में से एक है, जो 70 से अधिक देशों के छात्रों को आकर्षित करता है। कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज आदिवासी बच्चों के लिए दुनिया का सबसे बड़ा आवासीय संस्थान है, जो हाशिये पर रहने वालों के जीवन को बदलकर 8 मिलियन से अधिक लोगों के जीवन को प्रभावित करता है। साथ में, उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं, जिसमें कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज का यूनेस्को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता पुरस्कार और दोनों के लिए संयुक्त राष्ट्र के साथ ECOSOC कंसल्टैटिव स्टेटस शामिल है। कोई संदेह नहीं कि उनका काम एक उत्कृष्ट मॉडल बन गया है।

शिक्षा और आदिवासी उत्थान के अलावा, उन्होंने कला, संस्कृति, साहित्य, मीडिया, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, महिला सशक्तिकरण, सामाजिक अभियान, अध्यात्म और खेल में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनके इन कार्यों में आर्ट ऑफ गिविंग, कन्या किरण, कलिंग फ़ेलोशिप, न्यू माइंड न्यू ड्रीम्स, एजुकेशन फ़ॉर ऑल, नन्ही परी, इंडिया अगेंस्ट नेगेटिविटी, हीरो - ग्रामीण ओडिशा का स्वास्थ्य सशक्तिकरण जैसे क्रांति शामिल हैं। उनके सभी योगदानों में से, खेलों में उनकी भूमिका शानदार है, जिसमें विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा तैयार करना, खिलाड़ियों को बढ़ावा देना और पेरिस ओलंपिक 2024 में भाग लेने वाले 24 ओलंपियनों में से 15 का पोषण करना शामिल है। उनकी अनूठी नेतृत्व शैली को "वन मैन, मैनी हैट्स" की थ्योरी से समझा जा सकता है। प्रो. सामंत विभिन्न क्षेत्रों में काम करते हैं,।

जैसा कि प्रो. सामंत अक्सर कहते हैं, "जब आप खुद को ईश्वर के प्रति समर्पित कर देते हैं, तो आप चिंता करना बंद कर देते हैं। आप काम करना शुरू करते हैं।" वही गहन समर्पण उनकी नींव बनी है। सेवा का हर कार्य श्रद्धा के साथ होता है। उस समर्पण ने प्रशंसा, 70 मानद डॉक्टरेट, वैश्विक पुरस्कार और मान्यता और कुछ और दुर्लभ - सार्वभौमिक सम्मान दिलाया है। सभी मान्यता और सफलता के बावजूद, प्रो. सामंत एक किराए के घर में एक आम और ब्रह्मचारी जीवन जीते हैं। उनकी सफलता ने उनकी विनम्रता को नहीं बदला है; बल्कि इसने खुशियां बांटने के अपने संकल्प को और गहरा कर दिया है। अध्यात्मवाद ने उनके काम में एक वास्तविक दुनिया की अभिव्यक्ति पाई है - यह साबित करते हुए कि सेवा ही साधना का श्रेष्ठ रूप है।


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Content Editor

Jyotsna Rawat

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