NCERT ने दिया स्कूलों में विद्यालय प्रबंधन समिति द्वारा महीने में एक बैठक कराने का सुझाव

punjabkesari.in Tuesday, Jul 10, 2018 - 03:14 PM (IST)

नई दिल्ली : राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ( एनसीईआरटी ) ने सुझाव दिया है कि विद्यालय प्रबंधन समिति को माह में कम से कम एक बार अपनी बैठक आयोजित करनी चाहिए और इसकी लिखित सूचना बैठक से तीन दिन पहले अभिभावकों को देनी चाहिए । उसने यह सुझाव स्कूलों में शिक्षा के माहौल एवं गुणवत्ता को बेहतर बनाने तथा सहयोगी वातावरण तैयार करने के लिये दिया है । एनसीईआरटी ने समावेशी शिक्षा विषय पर ‘‘विद्यालय प्रबंधन समिति के लिये संर्दिशका (मैनुअल)’’ में कहा है कि विद्यालय प्रबंधन समिति की संरचना इस तरह की हो जिसमें समाज के विभिन्न वर्गो का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो । इसमें वंचित समूहों, महिलाओं को भी प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए।

इसमें कहा गया है कि विद्यालय प्रबंधन समिति को विद्यालय के विकास से संबंधित योजनाओं के निर्माण एवं उनके सुचारू क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये महीने में कम से कम एक बैठक का अवश्य आयोजन करना चाहिए । समिति आवश्यक्तानुसार महीने में एक से अधिक बैठकें भी आयोजित कर सकती है। बैठक के विचारणीय विषयों की सूची के साथ ही बैठक की तिथि एवं समय की लिखित और मौखिक सूचना बैठक से तीन दिन पहले माता पिता या अभिभावकों को दी जानी चाहिए । एनसीईआरटी ने सुझाव दिया है कि बैठक के दौरान नामांकन की स्थितियों एवं विद्यार्थियों की नियमित उपस्थिति की समीक्षा की जाए। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि छात्रों को कोई शारीरिक दंड नहीं दिया जाए या उनका मानसिक उत्पीडऩ नहीं किया जाए। बैठक में निधि प्रबंधन, गुणवत्ता समीक्षा, मध्याह्न भोजन, सामाजिक सर्वेक्षण और स्वस्थ विद्यालयी वातावरण सुनिश्चित करने पर भी विचार किया जाए । इसमें कहा गया है कि संक्षेप में विद्यालय प्रबंधन समिति का मुख्य कार्य विद्यालय के विकास में सहयोग करना, शिक्षा व्यवस्था को पारदर्शी बनाना और सभी की भागीदारी सुनिश्चित करना है। 

इस बात पर भी जोर दिया गया है कि पहचाने गए मुद्दों के संभावित समाधान के लिये सुझाव आमंत्रित करें। इस बारे में भी चर्चा करें कि विद्यालय में कौन सी गतिविधियां की जाती हैं और वे कौन सी गतिविधियां हैं जिनमें सुधार की आवश्यकता है ? बहरहाल, अभिभावकों का कहना है कि ज्यादातर स्कूलों में समितियां केवल नाम के लिए होती हैं, इसलिए स्कूल अपनी मनमानी करते हैं। उनका कहना है कि ये समितियां स्कूलों का पूरा प्रबंधन देखती हैं, इसमें अभिवावकों के होने से ये फायदा रहता है कि वे स्कूल की बेहतरी के लिये काम करेंगे क्योंकि वहां उनके खुद के बच्चे पढ़ते हैं।       


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