भारत में आधे से ज्यादा एमबीए ग्रेजुएट को नहीं मिल रही है नौकरी

punjabkesari.in Saturday, Nov 04, 2017 - 04:42 PM (IST)

नई दिल्ली : कुछ समय पहले तक एमबीए करने वाले लोगों को अकादमी स्तर पर पढ़ाई और काम के लिहाज से काफी योग्य माना जाता था,लेकिन अब एेेसा नहीं है
देश में  प्रबंधन की पढ़ाई करने वाले नए लोगों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है। हाल में ही सामने आई एक रिपोर्ट के मुताबिक 2016-17 में व्यवसाय एमबीए करने वाले 47 फीसदी छात्रों को ही कोर्स पूरा होने के साथ नौकरी मिल पाई। यह संख्या पिछले साल से चार फीसदी, जबकि बीते पांच साल में सबसे कम है। इसी अवधि में प्रबंधन में पोस्ट ग्रेजुएशन डिप्लोमा (पीजीडीएम) करने वाले 60 फीसदी लोगों को ही नौकरी मिल पाई जो पिछले साल के मुकाबले 12 फीसदी कम है

रिपोर्ट के मुताबिक इन आंकड़ों में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) से मान्यता प्राप्त प्रबंधन संस्थाओं के छात्र ही शामिल हैं, क्योंकि भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) इसके दायरे में नहीं आते। एक अदांजे के मुताबिक  एआईसीटीई से जुड़े देश के 5,000 प्रबंधन संस्थानों से 2016-17 में दो लाख से ज्यादा छात्र पास हुए।  इस रुझान को लेकर एआईसीटीई के अधिकारी भी चिंतित हैं।  नाम न बताने की शर्त पर एआईसीटीई के एक अधिकारी ने कहा, ‘छात्रों का नौकरी पाना बाजार पर निर्भर करता है।  इसलिए बाजार की जरूरतों को ध्यान में रखकर हम अपने पाठ्यक्रम में लगातार बदलाव कर रहे हैं। ’

हालांकि, मानव संसाधन के एक्सर्पट  इस समस्या के लिए श्रम बाजार की चुप्पी और छात्रों की गुणवत्ता में कमी को जिम्मेदार मानते हैं। पीपुलस्ट्रॉग के सह-संस्थापक पंकज बंसल का कहना है कि , ‘उद्योग को ऐसे लोग चाहिए जो तुरंत जिम्मेदारी संभाल सकें, लेकिन (आईआईएम और अन्य प्रबंधन संस्थानों को छोड़कर) ज्यादातर संस्थानों के एमबीए छात्र इतने सक्षम नहीं होते। ’ विशेषज्ञों के मुताबिक ज्यादातर निजी और सरकारी प्रबंधन संस्थानों में सक्षम अध्यापकों और औद्योगिक प्रशिक्षण की कमी है, इसलिए वहां पढ़ने वाले छात्रों में नौकरी के लिए जरूरी योग्यता नहीं आ पाती है, लेकिन जानकारों का यह भी कहना है कि अगर इन संस्थानों के पाठ्यक्रम और प्रशिक्षण सुविधा को सुधारा जाए तो इस चुनौती से निपटने में मदद मिल सकती है। 


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