जितनी ज्यादा पढ़ाई, देश में उतनी कम नौकरियां

punjabkesari.in Thursday, Apr 18, 2019 - 01:12 PM (IST)

एज्युकेशन डेस्कः देश में उच्चशिक्षित लोगों के लिए रोजगार के अवसर तेजी से कम हुए हैं, जबकि पांचवीं तक पढ़े लोगों के लिए रोजगार बढ़ रहा है। इनके लिए रोजगार की वृद्धि दर 45 प्रतिशत है। दूसरी ओर उच्च शिक्षितों के लिए यह महज 6 फीसदी है। आश्चर्यजनक तरीके से यह रुझान और तेजी से बढ़ रहा है। 2018 के बाद का ट्रेंड बताता है कि 55 फीसदी नौकरियां उन्हें मिली हैं, जो दसवीं पास भी नहीं हैं। 

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सेंटर फार मोनिटिरिंग इंडियन इकोनोमी कंज्यूमर पिरामिड्स हाउसहोल्ड सर्वे के अनुसार वर्ष 2018 में एक करोड़ नौकरियां खत्म हुईं। सबसे बड़ा नुकसान ये है कि ये सभी अच्छी नौकरियां थीं। दूसरी ओर चाय-तंबाकू के खोके, डिलिवरी ब्वाय, टैक्सी ड्राइवर, घरों और दुकानों में कामकाज के लिए नौकरों की मांग लगातार बढ़ रही है। इंजीनियरों, मैनजरों और परास्नातक डिग्री वालों के लिए अब उतनी नौकरियां नहीं हैं, जितनी दस साल पहले हुआ करती थीं। अब आईटी कंपनियों में करोड़ों के पैकेज देकर टेलेंट हायर करने की वह होड़ भी नहीं दिखती। दूसरी ओर ऑनलाइन रिटेल कंपनियों और दुकानों को उपभोक्ताओं को घर तक सामान पहुचाने के लिए पैकिंग और डिलवरी करने वालों की जरूरत लगातार बढ़ रही है। 2016-2018 के बीच पांचवीं तक पढ़े लोगों को 3.8 करोड़ नौकरियां मिलीं, जबकि स्नातक और परास्नातकों को सिर्फ 29 लाख। 

स्वरोजगार बढ़ा
2016 से 2018 की अवधि में नौकरियां कम हुई हैं मगर स्वरोजगार 71 फीसदी की दर से बढ़ा है। इस दौरान स्वरोजगार का आंकड़ा दो करोड़ के करीब रहा है। इनमें से ज्यादातर लोग वे हैं, जिन्हें कोई नौकरी नहीं मिली। 

पढ़ी लिखी महिलाओं में बेरोजगारी ज्यादा
उच्चशिक्षित महिलाओं में बेरोजगारी की दर सितंबर-दिसंबर में 31.1 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर-दिसंबर 2018 में 35.3 प्रतिशत हो गई। जबकि शिक्षित पुरुषों में इस अवधि में यह 9.3 से बढ़कर 9.9 प्रतिशत हुई।


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Anil dev

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