अब डी.ई.ओ. की मंजूरी के बिना 9वीं और 11वीं के स्टूडैंट्स का नाम नहीं काट पाएंगे निजी स्कूल

punjabkesari.in Sunday, Mar 24, 2019 - 02:08 PM (IST)

लुधियाना (विक्की): अपने स्कूल की बोर्ड कक्षाओं के परिणामों को बेहतर बनाने के लिए कुछ निजी स्कूलों की ओर से 9वीं और 11वीं कक्षाओं के कमजोर विद्यार्थियों के स्कूल से नाम काटे जाने का मामला शिक्षा विभाग के दरबार में पहुंच गया है जिसके चलते विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को कुछ राहत मिलने की उम्मीद भी जगी है। इस श्रृंखला में डायरैक्टर शिक्षा विभाग (सैकेंडरी) पंजाब ने एक पत्र जारी करते हुए सभी निजी स्कूल संचालकों को निर्देश दिए हैं कि अब 9वीं और 11वीं कक्षा में पढ़ रहे किसी भी विद्यार्थी का स्कूल से नाम काटने से पहले जिला शिक्षा अधिकारी की अनुमति लेना अनिवार्य होगा। 

डी.ई.ओज वैरीफाई करेंंगे नाम काटने के कारण 
यही नहीं, विभाग ने इसके लिए बाकायदा एक प्रोफार्मा भी जारी किया है जिसे स्कूलों द्वारा भरकर विद्यार्थी का नाम काटने से पहले डी.ई.ओ. से मंजूरी लेनी होगी। डी.ई.ओज को आदेश दिए गए हैं कि स्कूल की ओर से विद्यार्थी का नाम काटने के लिए प्रोफार्मा में बताए जाने वाले कारण अगर वैरीफाई करने पर सही पाई जाएं तो इसकी मंजूरी स्कूल को दे दी जाए। यही नहीं, डी.पी.आई. की ओर से जारी पत्र में साफ कहा गया है कि जो स्कूल विभागीय निर्देशों का उल्लंघन करेंगे, उनकी एन.ओ.सी. कैंसिल करने की सिफारिश भी की जा सकती है। 

10वीं व 12वीं के परिणाम बेहतर बनाने के लिए काटे जाते हैं नाम
शिक्षा विभाग के डी.पी.आई. द्वारा जारी उपरोक्त पत्र में कहा गया है कि कुछ निजी स्कूलों की मैनेजमैंटों द्वारा 9वीं और 11वीं कक्षा में पढ़ रहे कमजोरविद्यार्थियों के बिना वजह स्कूल से नाम काट दिए जाते हैं जिसका मुख्य उद्देश्य स्कूल के 10वीं और 12वीं कक्षा के परिणामों को बेहतर बनाना होता है लेकिन यह प्रथा विद्यार्थियों के भविष्य पर बुरा प्रभाव डालती है। वहीं विद्यार्थियों के अभिभावकों को भी स्कूलों की इस कथित मनमर्जी से भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।


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